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मिट्टी के इस जिस्म पे , क्यों करता खर्चा लाख में
मिल जाना तो तय ही है , आखिर इसका खाक में
सर्दी का है मौसम , क्यों देता दुख तू खुद को वंदे
जी भर के नहा लेना बेशक , आने वाली बरसात में
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
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