कितने खुदगर्ज ये
कितने खुदगर्ज ये दुनिया वाले है
फरेब का अक्स ये दुनिया वाले है
जगह मुक्कदस और जहन फरेबी
मतलबी प्यार ये दुनिया वाले है
किसी को तडफता देख हंसते है
कितने संगदिल ये दुनिया वाले है
मेरा मेरी और ये धन -दौलत बस
भ्रम में भटकते ये दुनिया वाले है
अपना रुतवा ,रोटी ,और जगह के लिए
खून के प्यासे ये दुनिया वाले है
सर झुका 'अक्स' खुदा के दर पे ही
खुद भिखारी ये दुनिया वाले है
milap singh
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