milap singh

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Thursday, 13 December 2012

आप आएँ तो


आप आएँ तो

आप आएँ तो हवाओं में लहर होती है
घटा बरसती है धरती पे महर होती है

कितनी मौजों को मेरे संग कर देते है
फीकी तस्वीर में प्य्रारे रंग भर देते है
आपके बिन तो जिन्दगी अधूरी लगती है

दुनिया में बस अँधेरा ही अँधेरा है
दिखता तो कुछ नही कहने को सबेरा है
आप आए तो मेरी भी सहर होती है

फूल- पत्ते ,कलियाँ सब खिल जाती है
खोई हुई खुशिया सब मिल जाती है
देखने वाली 'अक्स' ये सहर होती है


मिलाप सिंह 

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