जज्बात रोकते - रोकते
एक मुद्दत हुई जज्बात रोकते - रोकते
रह न जाये कहीं युहीं सोचते - सोचते
मैं बुजदिल नही सब कह सकता हु मगर
रुक जाती है जुबान मेरी बोलते - बोलते
बोल दे जो बोलना है वक्त के रहते तू
टूट जाये न खाब कही जोड़ते -जोड़ते
कोई भी काम ' अक्स ' इतना आसन नही
जोर तो लगता है हवा को मोड़ते - मोड़ते
वक्त तो वेहरा है फिर कहाँ सुनता है
गांठ ही न पड़ जाये उलझन खोलते - खोलते
मिलाप सिंह
बहुत खूब
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