milap singh

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Tuesday, 25 December 2012

खुद की बेबफाई





अजीब जिन्दगी है मेरी मुझसे क्या चाहती है
खुद की बेबफाई और मुझसे बफा चाहती है

लेती नही मशिवरा मेरा 'मिलाप' कभी भी
हर वक्त हर जगह खुद का कहा चाहती है

कभी दुःख के साथ में कभी सुख की आस में
ले जाती है कहीं भी मुझे ये जहाँ चाहती है

भर गये है जख्म मेरे शायद दिल के 'अक्स'
अब देना जख्म कोई ये मुझे नया चाहती है



मिलाप सिंह

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