दर्द दिल के मेरे
दर्द दिल के मेरे जब से कम हो गये
दुनिया की भीड़ में फिर से गुम हो गये
पहले खुद को जर्रा समझता था मै
दिन क्या बदले फिर से हम हो गये
फिर से हुस्न पर निखार आने लगा
शबनमी होंठ फिर से नम हो गये
फिर से जिन्दगी की तरफ देखने लगे
मर मिटने के खाब बरहम हो गये
फिर से खोने लगा दिल रंगीनियों में
हर हसीन चेहरे अपने सनम हो गये
मिलाप सिंह
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