फिर भी तुमसे मोहबत है
तोड़ दे दिल मेरा इजाजत है
तुज्को मैने दिल से चाहा है
बस यही मेरी हकीकत है
बेबफा हो तुम तो भी क्या
मुझको को तो बफा की आदत है
महंगा पड़ जायेगा नजर मिलाना भी
कहने को तो फक्त शरार्त है
काम आएगा अब मयखाना ही
जहाँ रोज 'मिलाप' कयामत है
संभल के चल इश्क की राह पे
इसमें सपनों सी नजाकत है
मिलाप सिंह
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