तेरी आँखों में न जाने
कितनी गहराई है
कि इनमें मैं डूबता ही चला जाता हूँ
तेरे चेहरे पर नूर है लाखों तारों का
देखते देखते न जाने
क्या क्या मैं इनमें देख जाता हूँ
झूम जाता हूँ मैं तेरी चाल की लहरों से
फिर दिल कहीं जीगर कहीं
मैं अपना फैंक आता हूँ
------ मिलाप सिंह भरमौरी