सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम
----- मिलाप सिंह भरमौरी
आज पुराना वर्ष बीत गया है
नए साल का हुआ आगाज
एक जनवरी चोंच में लेकर
वक्त का पंछी भर रहा परवाज
समय के इस शुभ कृत्य पर
सभी दोस्तों को मुबारकबाद
आओ लें संकल्प अभी
जाता साल है - है अच्छी घडी
आ गए थे जो अवगुन जीवन में
वो त्याग देंगे सब के सभी
कुछ गलत न करेंगे नए साल में
हाथ लगाएंगे नशे को नहीं
हम झूठ बोलेंगे न नए साल में
चुनेंगे रास्ता जीवन का सही
अब मेहनत से पैसा कमाएंगे
और हेर फेर को जगह देगें नहीं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
नव अन्वेषण में लगे यह मन
और अंर्तमन तक हर्ष रहें
उत्कर्ष पर हो भ्रातृ भावना
और तन से सब स्वास्थ रहें
सब दोस्तों को बहुत बधाई
सब के लिए शुभ नव वर्ष रहे
बहुत खूबसूरत हो तुम
बताने की जरूरत नहीं है
हुस्न को ढक के ही रखो
दिखाने की जरूरत नहीं है
मार ही डालोगी क्या अब
इन जानलेवा अदाओं से
देख सताए हुओं को ओर
सताने की जरूरत नहीं है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मिट्टी के इस जिस्म पे , क्यों करता खर्चा लाख में
मिल जाना तो तय ही है , आखिर इसका खाक में
सर्दी का है मौसम , क्यों देता दुख तू खुद को वंदे
जी भर के नहा लेना बेशक , आने वाली बरसात में
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
बडी खूबसूरत है तू कसम से
समेटूं तुझे मैं कैसे लफ्ज में
माथे की बिंदिया आंखों का काजल
बडे खूबसूरत है तेरे यह झुमके
---- milap Singh bharmouri
आज जब आया मैं उसे छोडकर
वो रोई मगर इक बहाना ढूंढ कर
फिर भी आई कुछ दूर चलके वो
छोड आया मगर अगले मोड पर
जमाने की होती हैं मजबूरियाँ भी
नहीं जिया जाता है मुंह मोड कर
शायद मुझे वो संग समझती होगी
मगर दिखाऊ कैसे दिल खोलकर
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी के दिन है सर्दी की रातें
हो रही हैं कोहरीली बरसातें
जम चुकी है स्याही कलम की
लिखें कैसे अब दिल की बातें
बेघर फुटपाथ पे ठिठुर रहे हैं
खो रहे हैं वो अब अपनी जानें
पूंजीपति को फर्क क्या इससे
हो रही उसकी रंगीन नित रातें
सबके पास हो बुनियादी चीजें
कोई समाज में समानता ला दे
----- मिलाप सिंह भरमौरी
खुली किताब है जिंदगी अपनी
मैं कुछ भी छुपाउंगा नहीं
इस बर्फ जैसे पानी को
लेकिन हाथ लगाऊंगा नहीं
अगर आए किसी को बदबू
तो बेशक न बैठे मेरे पास
लेकिन इतनी सर्दी में मैं
अभी कुछ ओर दिन नहाऊंगा नहीं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
यह इंतजार के पल भी
बडे कठिन होते हैं
बस खोए से रहते हैं
न जागते हैं न सोते हैं
इस कद्र भी खूदा तू
उनहें मजबूरियां न देना
कि चाहने वाले अक्सर
बिछुड कर तन्हा रोते हैं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
या रव तेरे जहान में यह क्या हो रहा है
तेरे ही नाम पर शैतान जहर वो रहा है
गया था जो मासूम कल स्कूल के लिए
देखो न आज कब्र में गहरी नींद सो रहा है
मना रहे हैं जश्न वो अपनी उस हरकत का
दुनिया का जर्रा जर्रा जिस पर रो रहा है
रंगी पडी है खून से वो क्लास की दीवार
कहा था जिसमें अमन का सबक हो रहा है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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सर्दी अब दिखा रही कमाल
धुंध के कारण बुरा है हाल
सारा सारा दिन अब सूरज नहीं दिखता
भेज दिया है जैसे इसको पाताल
---- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी ने अब पकड बनाई
अगल बगल से जकड रजाई
धुंध में सूरज नहीं है दिखने वाला
घडी की घंटी से उठ जा भाई
----- मिलाप सिंह भरमौरी
हर पल तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से भी कुछ मिला करो
क्यों मुरझाए मुरझाए रहते हो
कभी फूल बन कर भी खिला करो
गर तारीफ किसी की मुमकिन नहीं
तो अगल बगल में तुम गिला करो
पर ये तेरा तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से कुछ मिला करो
------ मिलाप सिंह भरमौरी
अब तन्हा से दिन हैं
तन्हा सी रातें
कहने को मगर हैं
बहुत सी बातें
कुछ अपनी कमी थी
कुछ तेरी भी होगी
जो पहुंच न पाई
अंजाम तक मुलाकातें
---- मिलाप सिंह भरमौरी
क्या शहर की तरह
हो जाएगें गांव भी
रूखे रूखे से दिखेंगे
यहां भी सब आदमी
मृगतृष्णा में फंस जाऐंगे
सब दौलत के लिए
क्या उनको भी नहीं रहेगी
फुर्सत दो सांस की
तेरी जुल्फों को देखें
के तेरे रुखसारों को
मात देती हो तुम
हर तरफ से बहारों को
खुशनसीब हैं हम
के हम तुम्हारे हैं
बदनसीब हैं वो
जो महरूम हैं नजारों से
---- मिलाप सिंह भरमौरी
ओरों को अच्छाई की
क्या नसीहत दें
पहले खुद ही
इस पर अमल कर लें
जरूर बदल जाएगी
यह दुनिया फिर
पहले खुद को ही
अगर हम बदल लें
--- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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मधुर मधुर सी याद तुम्हारी
इस तन्हा दिल को बहला जाती है
वो तेरी बातें वो तेरे नखरों से
यह जिंदगी तर तर हो जाती है
पलकों के झरोखों से उड कर के
मैं आ जाता हूँ पास तुम्हारे
फिर सूनी नहीं लगती ये चारदीवारी
जब याद तुम्हारी आ जाती है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हर लडकी में अपनी बहन को देखो
हर औरत में अपनी माता
मन अपना जब पवित्र होगा
फिर हर अर्ज सुनेगा विधाता
---- मिलाप सिंह भरमौरी
मत कर लडकियों से छेडख़ानी
बडी मंहगी पडेगी तूझे ये नादानी।
जब बनेगा तू भी बाप एक लडकी का
तब पता चलेगा क्या होती है माँ बाप की परेशानी ।
----- मिलाप सिंह भरमौरी
आपकी याद हर घडी
आती है
आपकी सूरत
बहुत मुझको भाती है
हिम्मत कहाँ इसमें
कि सताए हमको किस्मत
बस ये जो बेरूखी है तेरी
थोडी सी मुझे सताती है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
देश के जो काम न आए
लानत है ऐसी जवानी को
कभी न भूल पाएगा देश
तेरी इस कुर्बानी को
अपनी जान की बाजी लगाकर
घाटी में अमन की रक्षा की है
तेरी बहादुरी कर देगी खत्म
देश से आतंक की कहानी को
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मंहगी घडी पहन लेने से
कोई समय का पाबंद नहीं हो जाता
सूरज को दिया दिखाने से
वो रौशन कम नहीं हो जाता
फक्र होता है हर इंसान को
यहाँ हिन्दोस्तानी कहलाने में
अब किसी ऐरे गैरे के कहने से
कश्मीर बंद नहीं हो जाता
---- मिलाप सिंह भरमौरी
घडी तो कोई भी
पहन लेता है हाथों में
समय का पाबंद मगर
कोई ही होता है लाखों में
दिल भी होना चाहिए
अंदर से मिसरी की तरह
सिर्फ मिठास ही नहीं
होनी चाहिए बाहरी बातों में
जमीं पर ही खुश रहूंगा
अगर आकाश न मिले
वो दौलत किसलिए
अगर सुख की सांस न मिले
बस इतनी सी इल्तिजा है
मेरी तुमसे ऐ! खुदा
कि मेरी वजह से दुनिया में
कोई उदास न मिले
------ मिलाप सिंह भरमौरी
न कर घमंड जवानी का
जिंदगी बुलबुला है पानी का
पता नहीं कब ये फूट जाए
कब आ जाए आलम विरानी का
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हरपल मेरी आँखों में
आप ही तो रहते हैं
तेरे लिए ही बार बार
आईने के आगे संबरते हैं
तुम्हारे ही रहम से तो
होते हैं हम आबाद
और तेरी बेरूखी से
अब हम सनम उजडते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी