हमने जो जिंदगी जी है
वो भी क्या जिंदगी जी है
कभी छोड दी तोवा कर के
कभी जम कर हमने पी है
फिर भी कोई गम नहीं हमको
इस वादा खिलाफी का
क्योंकि जो भी हरकत की है
तेरी याद में सब की है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
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हमने जो जिंदगी जी है
वो भी क्या जिंदगी जी है
कभी छोड दी तोवा कर के
कभी जम कर हमने पी है
फिर भी कोई गम नहीं हमको
इस वादा खिलाफी का
क्योंकि जो भी हरकत की है
तेरी याद में सब की है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
कब बनता है गुलशन माली का
ले जाता है फूल कोई ओर डाली का
इसलिए जो भी है सब अच्छा है
तू भूल जा खाव अब हरियाली का
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
दरवाजे पर है ताला
ताले में है चावी
प्यार भरे शब्दों से
बोल तुझे क्या खराबी
दरवाजे के दो पाट
पाट के बीच है कुंडा
भाग यहां से कुत्ते
वरना पड जाएगा दंडा
---- मिलाप सिंह भरमौरी
हाल अपने दिल का
मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ
जो सोचता रहता हूँ हरपल
होंठो तक ला नहीं पाता हूँ
बेशक बहुत मोहब्बत है
तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में
पर पता नहीं क्यों तुमको
फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ
----- मिलाप सिंह भरमौरी
कब तलक आखिर
यूंही लडखडाया जाए
क्यों न इक कदम
तेरी ओर बढाया जाए
बहुत सुनते आए हैं
इक नाम मुकद्दर का
क्यों न आज इसे भी
आजमाया जाए
-- मिलाप सिंह भरमौरी
सब उसकी बिछाई बिसात है
कोई समझता है सब उसके हाथ है
हर हरकत पे है पूरी उसकी कमान
उसकी मर्जी से बनती हर बात है
मालिक है वो इस सारे जहाँ का
हर इंसान जर्रा उसका दास है
पल का नहीं है पर कोई भरोसा
बेशक चल रही अभी पूरी सांस है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
कुछ अदब से रहो
और रखो अकल ठिकाने पे
यह खूबसूरती नहीं बढ जाती
जिस्म को दिखाने से
अगर बुरी लगे बात मेरी
और गले से उतरे नहीं
तो कह देना अपने साथी से
ये शक्स हैं जमाने पुराने के
---- मिलाप सिंह भरमौरी
कुछ मीठी
कुछ नमकीन लगती है
तू साथ हो तो
जिंदगी हसीन लगती है
तुझको देखूँ तो
उडान भरती हैं उम्मीदें
और तू औझल हो तो
पंखविहीन लगती है
--- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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हर पल मन में इक फिक्र रहता है
और जुवां पर उसका जिक्र रहता है
जब हो जाता है प्यार किसी को
कुछ इस तरह का उसका हश्र रहता है
---------- मिलाप सिंह
बहुत ही साधारण है
इस जिंदगी का दर्शन
आग की आंच पर
जैसे दूध का बर्तन
संभाल के उवालो तो
ओर स्वाद बढाए
थोडी सी अलगर्जी हुई
सब जमीन को अर्पण
---मिलाप सिंह
इक चमत्कार की चाह ने
कितनों की दुकानें चलाईं
खूब चढाया चंदा
चाहे कितनी भी हो मंहगाई
फिर खूब नतीजे देखे
और खूब सुर्खियां आई
मान के खुद को मालिक
जब उन्होंने रास रचाई
---- मिलाप सिंह भरमौरी
गुरु ग्रंथ है गुरु है गीता
गुरु है वेद पुराण
इनके अलावा जो भी है
वो है साधू वक्ता या विद्वान
भूल कर रहा बहुत बडी तू
अगर मान रहा इनको भगवान
भगवान का दर्जा प्राप्त कर ले
इतना काबिल नहीं है कोई इंसान
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
खुदगरजों से मोहब्बत कैसी
खुदगर्ज तो अपनी ही सोचेंगे
अगर इससे हो मुनाफा इनका
तो तुझे मरने से भी क्यों रोकेंगे
सुन तेरी मोहब्बत का उन्हें
जरा भी एहसास नहीं होगा
वो तो सिर्फ मूर्ख कहेंगे तुमको
और खिलखिला कर ताली ठोकेंगे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मौहब्बत जब हो जाती है तो
उसके सारे अवगुण छुप जाते हैं
चाहे हो वो कोई घोर दरिंदा
उसमें भी फिर रव को पाते हैं
मर मिटने को हो जाते हैं आमअदा
बस उसके एक इशारे पर
छिटक के खुद पर इश्क का तेल
प्यार की चिंगारी से जल जाते हैं
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
आपने यह क्या कह दिया
खुशियों का कारवां मिल गया
दिल सकून से भरने लगा
दर्द आंखों से बह गया
दुनिया का क्या है मिलाप
जो भी कहती गई सह लिया
---- मिलाप सिंह भरमौरी
आदत सी हो जाती है
फिर उसके बारे में सोचने की
हिम्मत किसमें रहती है
मोहब्बत के तुफां को रोकने की
अपने अच्छे बुरे के बारे में
कुछ पता ही नहीं चलता
अच्छी बातें करने वाले को भी
फिर उपाधि दे देते हैं भौंकने की
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरा साथ मुझे
सच में बहुत भाता है
जीने का मानो
जैसे मजा ही आ जाता है
पर तुमसे बिछुडने का
ख्याल मुझे डराता है
जैसे पेट से निकलकर कलेजा
मुंह तक आ जाता है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तुमसे मिलने के लिए
कुछ ऐसे दिल करता है
जैसे पानी की तलाश में
पंछी प्यासा भटकता है
फिर तेरे जाने के बाद
कुछ ऐसे मुझे लगता है
जैसे सिर से जुदा होकर
जिस्म कोई तडपता है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी ने दे दी है दस्तक
निकाल लो बाहर रजाइयां
बर्फीले रंगीले इस मौसम की
सभी दोस्तों को बधाईयाँ
---- मिलाप सिंह भरमौरी
मौसम बदल रहा है
जरा अपना ख्याल रखना
सुबह सर्दी बहुत होती है
तन को कपडों से ढक के रखना
क्योंकि कभी भी टपक सकती है
कमबख्त नाक यह
इसलिए हरपल जेब में
दोस्त रूमाल रखना
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तु अगर मिल जाए तो
मजा ही आ जाए जीने का
बुलंदियां छू ले हौसले अपने
ओर फैलाव बढ जाए सीने का
कामयाबी ही हो सामने फिर
गाड दे परचम जाए जिधर
मंजिल ही हो सामने अपने
बहाना न रहे कोई फिर पीने का
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तुझको देख लूँ तो
दिन अच्छा गुजरता है
वरना हर पल मन
किसी उलझन में रहता है
काश! मिल जाओ तुम
मुझे सदा के लिए
कभी कभी तन्हाई में
मुझसे मेरा दिल कहता है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
स्थिर पडे हुए पानी में ही तो
अपना असली चेहरा दिखता है
जरा सा इसमें कंकड पड जाए
तो सब कुछ विकृत लगता है
अगर सच में रव को पाना है
तो मन की स्थिरता जरूरी है
अस्थिरता की स्थिति में यहां
किसी को नहीं कुछ मिलता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मुंह तो काबू में आ सकता है
कोई मन को काबू करे तो मानें
जिसने हुनर ये सीख लिया है
वो जब भी चाहे रव को पा ले
----- मिलाप सिंह भरमौरी
सोचते हुए निकल जाती है रात
कि कल तुमसे बात करूंगा
तुम कबूल कर लोगी मोहब्बत
अगर इस तरह शुरुआत करूंगा
पर रोज दिन गुजर जाता है
और मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ
कभी तुम खुद ही समझ जाओ न
आखिर कब तक बिन आग जलूंगा
----- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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रौनक तेरे चेहरे की
बन जाती है जिंदगी
उदासी तेरे चेहरे पर
अच्छी लगती नहीं
तेरे ख्याल में क्यों
रहता हूँ मैं रात भर
कहीं हो गई है तुमसे
मुझे मोहब्बत तो नहीं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरे चेहरे पर जो तिल काला है
इसने किया बहुत बडा घौटाला है
कितने ही दिल इसने तोड दिए हैं
कितनो को ही पागल कर डाला है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
कह रहा हूँ मैं जो
हिदायत मान लो
तुम सबसे नजर मिलाने की
आदत सुधार लो
शर्म हुस्न का गहना है
कुछ हया करो
अगर थोडी भी बची नहीं
कुछ उधार लो
यह मन कितना कंजर है
कितना कालिख इसके अंदर है
वो भाई बहन बैठे होंगे बस की सीट पर
और यह कहता है कि इश्क का मंजर है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
इस गुलाब के फूल को
अगर तुम कबूल लो
जन्नत बने ये जिंदगी
हवा मिले जुनून को
---- मिलाप सिंह भरमौरी
अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं
नींद आती नहीं अब रात भर मुझे
दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं
सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है
तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है
दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
कालाधन अब हो चुका शवेत
बैठ के बस तू तमाशा देख
इतने सालों से हल्ला पडा था
निश्चिंत थे क्या वो कमरे में बैठ
खाली अकाउंट रह गए होंगे
ले गए होंगे भर पैसे के बैग
तीन लाख नहीं है अब मिलने वाले
आवरण तू खोल के सपनों का फैंक
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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