milap singh

milap singh

Friday, 28 November 2014

Jindgi ji hai


हमने जो जिंदगी जी है
वो भी क्या जिंदगी जी है

कभी छोड दी तोवा कर के
कभी जम कर हमने पी है

फिर भी कोई गम नहीं हमको
इस वादा खिलाफी का

क्योंकि जो भी हरकत की है
तेरी याद में सब की है

---- मिलाप सिंह भरमौरी

गुलशन माली


कब बनता है गुलशन माली का
ले जाता है फूल कोई ओर डाली का
इसलिए जो भी है सब अच्छा है
तू भूल जा खाव अब हरियाली का

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 27 November 2014

Darbaaje pe tala


दरवाजे पर है ताला
ताले में है चावी

प्यार भरे शब्दों से
बोल तुझे क्या खराबी

दरवाजे के दो पाट
पाट के बीच है कुंडा

भाग यहां से कुत्ते
वरना पड जाएगा दंडा

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 26 November 2014

हाल दिल का

हाल अपने दिल का
मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ

जो सोचता रहता हूँ हरपल
होंठो तक ला नहीं पाता हूँ

बेशक बहुत मोहब्बत है
तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में

पर पता नहीं क्यों तुमको
फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 25 November 2014

Kab tak


कब तलक आखिर
यूंही लडखडाया जाए

क्यों न इक कदम
तेरी ओर बढाया जाए

बहुत सुनते आए हैं
इक नाम मुकद्दर का

क्यों न आज इसे भी
आजमाया जाए

-- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 24 November 2014

Bisaat


सब उसकी बिछाई बिसात है
कोई समझता है सब उसके हाथ है

हर हरकत पे है पूरी उसकी कमान
उसकी मर्जी से बनती हर बात है

मालिक है वो इस सारे जहाँ का
हर इंसान जर्रा उसका दास है

पल का नहीं है पर कोई भरोसा
बेशक चल रही अभी पूरी सांस है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 23 November 2014

Adab


कुछ अदब से रहो
और रखो अकल ठिकाने पे

यह खूबसूरती नहीं बढ जाती
जिस्म को दिखाने से

अगर बुरी लगे बात मेरी
और गले से उतरे नहीं

तो कह देना अपने साथी से
ये शक्स हैं जमाने पुराने के

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 22 November 2014

Namkeen


कुछ मीठी
कुछ नमकीन लगती है

तू साथ हो तो
जिंदगी हसीन लगती है

तुझको देखूँ तो
उडान भरती हैं उम्मीदें

और तू औझल हो तो
पंखविहीन लगती है

--- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 21 November 2014

फिक्र रहता है

Hindi shayari
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हर पल मन में इक फिक्र रहता है
और जुवां पर उसका जिक्र रहता है
जब हो जाता है  प्यार किसी को
कुछ इस तरह का उसका हश्र रहता है

---------- मिलाप सिंह

Jindgi


बहुत ही साधारण है
इस जिंदगी का दर्शन

आग की आंच पर
जैसे दूध का बर्तन

संभाल के उवालो तो
ओर स्वाद बढाए

थोडी सी अलगर्जी हुई
सब जमीन को अर्पण

---मिलाप सिंह

Thursday, 20 November 2014

Dharm


इक चमत्कार की चाह ने
कितनों की दुकानें चलाईं

खूब चढाया चंदा
चाहे कितनी भी हो मंहगाई

फिर खूब नतीजे देखे
और खूब सुर्खियां आई

मान के खुद को मालिक
जब उन्होंने रास रचाई

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 19 November 2014

Guru


गुरु ग्रंथ है गुरु है गीता
गुरु है वेद पुराण

इनके अलावा जो भी है
वो है साधू वक्ता या विद्वान

भूल कर रहा बहुत बडी तू
अगर मान रहा इनको भगवान

भगवान का दर्जा प्राप्त कर ले
इतना काबिल नहीं है कोई इंसान

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 18 November 2014

खुदगर्ज से मोहब्बत


खुदगरजों से मोहब्बत कैसी
खुदगर्ज तो अपनी ही सोचेंगे

अगर इससे हो मुनाफा इनका
तो तुझे मरने से भी क्यों रोकेंगे

सुन तेरी मोहब्बत का उन्हें
जरा भी एहसास नहीं होगा

वो तो सिर्फ मूर्ख कहेंगे तुमको
और खिलखिला कर ताली ठोकेंगे

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 17 November 2014

प्यार की चिंगारी

मौहब्बत जब हो जाती है तो
उसके सारे अवगुण छुप जाते हैं

चाहे हो वो कोई घोर दरिंदा
उसमें भी फिर रव को पाते हैं

मर मिटने को हो जाते हैं आमअदा
बस उसके एक इशारे पर

छिटक के खुद पर इश्क का तेल
प्यार की चिंगारी से जल जाते हैं

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 15 November 2014

Aapne kya keh diya


आपने यह क्या कह दिया
खुशियों का कारवां मिल गया

दिल सकून से भरने लगा
दर्द आंखों से बह गया

दुनिया का क्या है मिलाप
जो भी कहती गई सह लिया

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 14 November 2014

Aadat si

आदत सी हो जाती है
फिर उसके बारे में सोचने की

हिम्मत किसमें रहती है
मोहब्बत के तुफां को रोकने की

अपने अच्छे बुरे के बारे में
कुछ पता ही नहीं चलता

अच्छी बातें करने वाले को भी
फिर उपाधि दे देते हैं भौंकने की

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 13 November 2014

Tera saath

तेरा साथ मुझे
सच में बहुत भाता है

जीने का मानो
जैसे मजा ही आ जाता है

पर तुमसे बिछुडने का
ख्याल मुझे डराता है

जैसे पेट से निकलकर कलेजा
मुंह तक आ जाता है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 12 November 2014

Tumse milne ke liye


तुमसे मिलने के लिए
कुछ ऐसे दिल करता है

जैसे पानी की तलाश में
पंछी प्यासा भटकता है

फिर तेरे जाने के बाद
कुछ ऐसे मुझे लगता है

जैसे सिर से जुदा होकर
जिस्म कोई तडपता है

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 11 November 2014

सर्दी


सर्दी  ने  दे दी  है  दस्तक
निकाल  लो  बाहर  रजाइयां
बर्फीले  रंगीले इस मौसम की
सभी  दोस्तों  को   बधाईयाँ

   ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 10 November 2014

मौसम बदल रहा है

मौसम बदल रहा है
जरा अपना ख्याल रखना

सुबह सर्दी बहुत होती है
तन को कपडों से ढक के रखना

क्योंकि कभी भी टपक सकती है
कमबख्त नाक यह

इसलिए हरपल जेब में
दोस्त रूमाल रखना

     ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 9 November 2014

पीने का बहाना


तु अगर मिल जाए तो
मजा ही आ जाए जीने का

बुलंदियां छू ले हौसले अपने
ओर फैलाव बढ जाए सीने का

कामयाबी ही हो सामने फिर
गाड दे परचम जाए जिधर

मंजिल ही हो सामने अपने
बहाना न रहे कोई फिर पीने का

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 8 November 2014

Tujhe dekh lu


तुझको देख लूँ तो
दिन अच्छा गुजरता है

वरना हर पल मन
किसी उलझन में रहता है

काश! मिल जाओ तुम
मुझे सदा के लिए

कभी कभी तन्हाई में
मुझसे मेरा दिल कहता है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 7 November 2014

स्थिरता


स्थिर पडे हुए पानी में ही तो
अपना असली चेहरा दिखता है

जरा सा इसमें कंकड पड जाए
तो सब कुछ विकृत लगता है

अगर सच में रव को पाना है
तो मन की स्थिरता जरूरी है

अस्थिरता की स्थिति में यहां
किसी को नहीं कुछ मिलता है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 6 November 2014

Mam


मुंह तो काबू में आ सकता है
कोई मन को काबू करे तो मानें
जिसने हुनर ये सीख लिया है
वो जब  भी चाहे रव को पा ले

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 5 November 2014

Sochte huye


सोचते हुए निकल जाती है रात
कि कल तुमसे बात करूंगा

तुम कबूल कर लोगी मोहब्बत
अगर इस तरह शुरुआत करूंगा

पर रोज दिन गुजर जाता है
और मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ

कभी तुम खुद ही समझ जाओ न
आखिर कब तक बिन आग जलूंगा

----- मिलाप सिंह भरमौरी

मोहब्बत तो नहीं

Hindi shayari
@@@@@@@@

रौनक तेरे चेहरे की
बन जाती है जिंदगी

उदासी तेरे चेहरे पर
अच्छी लगती नहीं

तेरे ख्याल में क्यों
रहता हूँ मैं रात भर

कहीं हो गई है तुमसे
मुझे मोहब्बत तो नहीं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 4 November 2014

Kala til

तेरे चेहरे पर जो तिल काला है
इसने किया बहुत बडा घौटाला है
कितने ही दिल इसने तोड दिए हैं
कितनो को ही पागल कर डाला है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 3 November 2014

Aadat

कह रहा हूँ मैं जो
हिदायत मान लो

तुम सबसे नजर मिलाने की
आदत सुधार लो

शर्म हुस्न का गहना है
कुछ हया करो

अगर थोडी भी बची नहीं
कुछ उधार लो

Sunday, 2 November 2014

यह मन


यह मन कितना कंजर है
कितना कालिख इसके अंदर है
वो भाई बहन बैठे होंगे बस की सीट पर
और यह कहता है कि इश्क का मंजर है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 1 November 2014

Gulab ka phool


इस गुलाब के फूल को
अगर  तुम कबूल  लो
जन्नत  बने ये  जिंदगी
हवा  मिले  जुनून  को

---- मिलाप सिंह भरमौरी

अब तेरे सिवा


अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं

नींद आती नहीं अब रात भर मुझे
दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं

सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है
तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है
दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

कालाधन

कालाधन अब हो चुका शवेत
बैठ के बस तू तमाशा देख

इतने सालों से हल्ला पडा था
निश्चिंत थे क्या वो कमरे में बैठ

खाली अकाउंट रह गए होंगे
ले गए होंगे भर पैसे के बैग

तीन लाख नहीं है अब मिलने वाले
आवरण तू खोल के सपनों का फैंक

------- मिलाप सिंह भरमौरी

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