milap singh

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Monday, 23 September 2013

आँखों से बार- बार

काजल से काले पलकों के
किनारे न किया करो

सुर्खी से लाल हौंठ  
ओर अंगारे न किया करो

मर जायेगा ' मिलाप '
कभी दिल पे हाथ रख के

तुम आँखों से बार- बार 
इशारे न किया करो


.........मिलाप सिंह भरमौरी 

Wednesday, 18 September 2013

बू -आती है इमान सड़ने की

बाहर  बातें करते है 
व्यवस्था को ठीक करने की
अंदर मिलकर  तकरीबें  सोचते है 
झौली  भरने की
कितना ढक  कर  रखें ' मिलाप '
नाक  अपना  हम 
यहाँ तो जगह -जगह पर
बू -आती  है इमान  सड़ने की


एक शेर और पेश कर  रहा हूँ ….


जो खुद करते है दगा रोज अपने रिचक  से
वो कहते है कि   इन्कलाब लाएँगे  ज़माने में

रिच्क का अर्थ ....... रोजी -रोटी का साधन 


एक और शेर प्लीज........


उसने अहद कऱ  लिया है 
इमां पर चलने का
क्या वो भी ' मिलाप '
हादसे में मारा  जायेगा


......मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 18 July 2013

हसरतें मर गई

हसरतें मर गई जिन्दगी रह गई
मन्दिरों में भटकती वन्दगी रह गई

हुस्न की जमाने में कद्र न हुई
फैशनपरस्ती में दवी सादगी  रह गई

किस तरह हुआ गजल से प्यार
बात दिल में 'मिलाप' राज की रह गई

गोशे -गोशे से जमाने ने लुटा मुझे 
नतीजा हिस्से में मेरे शायरी रह गई


........मिलाप सिंह भरमौरी 

Wednesday, 17 July 2013

वो इस तरह बिछड़ा

वो इस तरह बिछड़ा के मुझे खाली कर गया
मेरी अरमानों भरी दुनिया को पानी  कर गया

वक्त कितना बेरहम निकला के पलक झपकते ही
मेरी जिन्दगी की हकीकत को कहानी कर गया

एक लफ्ज वक्त-ए- रुखसत खुदा तुझपे भरोसा नही
सवाब उम्रभर के मेरे को बेमानी कर गया

तमाम  उम्र में कुछ न कुछ खोता ही रहा
मेरा मुक्कदर मुझ गरीब को दानी कर गया

यह अंजाम हुआ मेरी बफा का इक मजबूरी से
के मेरा मेह्बूव मुझे बेबफा के सानी कर गया

.........मिलाप सिंह भरमौरी 

Tuesday, 16 July 2013

दे गया दर्दे जिगर


कर रहा जख्म हरा हर लम्हा -लम्हा
दे गया दर्दे जिगर प्यार पहला-पहला

यादों में समाया है 'मिलाप' जमाना सारा 
बीत रही जिन्दगी मगर तन्हा- तन्हा 

हाथों में उसके लहू था या के मेंहदी थी
रंग तो था उसका  कुछ गहरा-गहरा 

दर्द की  इन्तहा होने वाली है शायद
लग रहा है समा अब ये सहमा- सहमा 

........मिलाप सिंह भरमौरी 

Monday, 15 July 2013

ये तेरी नजर भी

ये तेरी नजर भी कमाल करती है
मेरी रुकी सांसों में जान भरती है

कोई तलवार है न कोई खंजर
फिर भी ये काम तमाम करती है

देखने वाला लड़खड़ाए शराबी जैसा
न जाने कैसी ये चाल चलती है

अब जरूरत नही मैखाने जाने की
तेरी नजरों से मेरी जाम भरती है

जो ये  उठती है इतनी हमदर्दी से
शायद मोहावत का पयाम करती है

इसको समझने की कोशिस कर तू
ये कुछ न कुछ तो व्यान करती है



.....मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 12 July 2013

अदा-ए-हँसी

असर ऐसा हुआ है
अदा-ए-हँसी का 
के कारवां चल पड़ा है
साथ ख़ुशी का

जैसा चाहा था वैसा 
हमसफर दिया है
शुक्र कैसे करूं 
अदा मै नवी का

है सबसे जुदा 
वो मेह्बूव मेरा 
जैसे हिस्सा न हो
वो इस जमीं का 

वयां क्या करूं 
मै त्वसुम उसका
जैसे खिला हो गुल
अभी के अभी का 

असर ऐसा हुआ है
अदा-ए-हँसी का 
के कारवां चल पड़ा है
साथ ख़ुशी का



.....मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 11 July 2013

नश्तर चुभोये जाते हो

नश्तर चुभोये जाते हो
बाते बनाये जाते हो
रौशनी के बहाने से 
मेरा दिल जलाये जाते हो

मेरी किसी हरकत 
से चेहरे पे शिकन 
बड़े अंदाज से
 ये अदा भी दिखाए जाते हो

कभी गुस्से से देखना 
कभी प्यार से देखना 
उफ़ हर नजर में 
दीवाना बनाये जाते हो 

वक्त -ए- रुखसत तेरा
नये अंदाज से अलविदा 
उंगलिओं के इशारों पे
हमको नचाये जाते हो 

नश्तर चुभोये जाते हो
बाते बनाये जाते हो
रौशनी के बहाने से 
मेरा दिल जलाये जाते हो



.....मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 25 June 2013

वजीर बोले कोई खोदलवासी ( bharmouri boli me )



माला रे मनके ते
मनके री माला
मनके ते लिखया घोडवासी

दुनिया मा ना तेरे
कई वो केलंगा
वजीर बोले कोई खोदलवासी

घुमदे ने मनके
ते फिरदिया माला
करदे ने मेर घोडवासी

हा री हा माला
मना रे मनके
नित -नित खिच्ची जान घोडवासी

 माला रे मनके ते
मनके री माला
मनके ते लिखया घोडवासी


......milap singh bharmouri

Monday, 3 June 2013

शिवजी रे पुत्र (bharmouri boli me )


शिवजी रे पुत्र
केले वजीर 
मना मा ध्यायो
मना मा ध्यायो

सुख -सांद तोपदेयो
जे सुख-सांद पाना
कुगति जो आयो 
कुगति जो आयो

मुकदरा रे लोवियो 
जे मुकदर बनाना 
भक्त बढायो 
भगत चढायो 

केलांगा रे चरना मा 
रेना जे भग्ता
सुचा लाण लायो
सचा लाण लायो


शिवजी रे पुत्र
केले वजीर 
मना मा ध्यायो
मना मा ध्यायो



....milap singh bharmouri

Sunday, 5 May 2013

SMS से शुरू मौहाबत

वो sms से शुरू मौहाबत

यारो बहुत ही funny िनकली

मैं िजन्हे मेहवूवा के समझ के पडता रहा

उन्हे भेजने वाली

उसकी मम्मी िनकली

Vo sms se shuru mohabat

Yaro Bhut hi funny nikli

Me jinhe mehbuba ke samajh ke

Padta rha

Unhe bhejne vali

Uski mummy nikki

.....milap singh bharmouri

Monday, 29 April 2013

फासले से अगर


फासले से अगर
देखता हूँ जिसे 
हर चेहरा मुझे तो
तुम्हारा लगे
भूल कर भी तम्हे 
भूल पाया नही
भूल जाना तुम्हे 
ना गवारा लगे

खत्म होंगी नही
वक्त की वंदिशे
बडती जाएँगी पल-पल
यर रंजिशे 
मत सुनो जहन की 
दरकिनार करो
गर आने को कुछ दिल
तुम्हारा करे

सारी दुनिया को मै
अलग छोड़ कर
तुज्को लेने आंऊ
हर कसम तोडकर
निकल आयेंगे 
कई नये  रास्ते
थोडा- सा भी अगर 
तू इशारा करे

....milap singh bharmouri

Friday, 19 April 2013

या खुदा या खुदा, या खुदा


या खुदा या खुदा, या खुदा ..
मै नही तुजसे जुदा 
तू नही मुझ से जुदा 

तुजको देखता हु मै फिजाओं में 
तुजको देखता हु मै खिजाओं में 
तू ही तो है हर किसी की निगाहों में
या खुदा या खुदा या खुदा ,या खुदा...

हर तरफ है तेरी परछांईयां 
तुजमे ही खत्म है गहराईंया
तेरी ही बनाई है  ऊंचाईयां
या खुदा या खुदा या खुदा ,या खुदा....

जर्रे -जर्रे में बसा है तू ही तू
पत्ते -पत्ते में बसा ही तू ही तू
तुझपे ही खत्म हर गुफ्तगू 
या खुदा या खुदा या खुदा ,या खुदा...


     .....milap singh bharmouri

Thursday, 18 April 2013

मेरे केलंगा रा बासा ( gaddi boli me bhajan )


कुगती री धारा
मेरे केलंगा रा बासा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा

पैरा मंज शाले मेरे 
भजदा शरीर हा 
कुछ भी भोया पर 
पुजना जरूर आ 
लेई चल गड्डी मा चड़ाई  डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा

निक्का जिना झौला मेरा 
पानी ना रोटी हा 
बस केसरा री पुड़ी कने 
हत्था मा होठी आ 
कर न गल तू पराई डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा

टोप कन्ने नरवार 
झोउले मंज पोउरा ऐ
उरनु ते शेल्लू मेई
कुगती बोलउरा ऐ 
लेई चल 'मिलाप ' जो चड़ाई 
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा डलेवरा
लेई चल हडसरा ताईं डलेवरा


...milap singh bharmouri

Wednesday, 17 April 2013

जैजै ,जै जै कार भुन्दी (bhajan bharmouri boli me )


जैजै ,जै जै कार भुन्दी
दुनिया मा तेरी 
केलंग वजीर जी 
अरदास हुना मेरी

सोना-चाँदी मंगदा ना
ना मंगदा अंयु पैसे 
बस अपने चरना मा रखे
मुंजो मूर्खा जो तुसे

गड्डी-मोटर मंगदा 
ना मंगदा जहाज 
बस भुऐ ना तू मलका 
इस दासा तोउ नराज 

धन -दौलत मंगदा ना 
ना मंगदा जमीन
बस टूटे ना मलका 
मेरा तुजो तोउ जकीन

....milap singh bharmouri

Tuesday, 16 April 2013

जय हो केले बजीर (gaddi boli me )


जय हो केले बजीर
जय जय केले बजीर
हर लो भक्तों की पीड
हर लो भक्तों की पीड

बासा कुगति आ तेरा
पासा मुक्ति रा मेरा
कर ना नजरा तोउ दूर
मंगता ' मिलाप' फकीर

हत्थे होठू हा शैल
धोये दुखा री मैल
अंयु रेंहू  तेरे करीब
बलदा मेरा जमीर


जय हो केले बजीर
जय जय केले बजीर
हर लो भक्तों की पीड
हर लो भक्तों की पीड

jai ho kele bjeer 
jai jai kele bajeer
har lo bhakton ki peer
har lo bhakton ki peer

basa kugti ha tera
pasa mukti ra mera
kar na njra tou door
mangta "milap" fakeer

haththe hotu ha shail
dhoye dukha ri mail
anyu renhu tere kareeb
balda mera jameer


.....milap singh bharmouri

Monday, 15 April 2013

इस दुनिया मंज (gaddi boli me )


इस दुनिया मंज
 इची करी हानी
कई कुछ सैना पैंदा हा 
मनु मंज चांहे
 कुतूना भी हसिया 
टारे इची रूना पैंदा हा I

एह धरती हा
 सता -तमा री गुथूरी
टेरे रंग निराले ने 
जेड़ा भी वक्त हा
 सौगी -सम्भालिया
फिरि ऐ वक्त गुषुरा हा II

पोले- निठोले
 बेपला रे हा रे 
कजो तू सुपने बुन्दा हा 
तू ता हा 
सुच्चे मोती रा मालिक 
कजो कंकर -पत्थर चुगदा हा III


इस दुनिया मंज
 इची करी हानी
कई कुछ सैना पैंदा हा 
मनु मंज चांहे
 कुतूना भी हसिया 
टारे इची रूना पैंदा हा I



....milap singh bharmouri

भरमौरी बोली की किवता

भरमौरी बोली में किवता

सब िकस्मत रे फेरे िहन
िदन जैडे मुंजो-तुजो घेरे िहन

असली होर ही मालक हा
असे बलदे तेरे ते मेरे िहन

जीतूनी बारी भी घरदा िदन
ईठी तीतूने ही सबेरे िहन

तेरे नाम तांऊ ही मुलना सुख
इँया ता छुडे िगट्टे परेडे िहन

......milap singh bharmouri

Friday, 12 April 2013

मुर्दों का ओपरेशन



काश!  ऐसा कोई 
करिश्मा हो जाये 
यह सारे बेरहम मंहगे होस्पिटल
 सरकारी हो जाए
सब को मिले अच्छी सुबिधा 
सबका जीवन आसान हो जाए 

यह चमचमाती बिल्डिंगे नही 
मानवता पर धव्वा है 
यह कोई समाज सेवा नही 
सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने का धंदा है 

यह अच्छे-अच्छो की
 तिजोरी को तंग कर देते है
डिलीवरी के नोर्मल केस की भी
 सर्जरी कर देते है
घिनौनापन यहाँ तक पहुंच चूका है अब तो
पैसो के लिए 
मुर्दों का भी ओपरेशन कर देते है 


काश!  ऐसा कोई 
करिश्मा हो जाये 
यह सारे बेरहम मंहगे होस्पिटल
 सरकारी हो जाए
सब को मिले अच्छी सुबिधा 
सबका जीवन आसान हो जाए 




           ....milap singh bharmouri

Thursday, 11 April 2013

न मचल मेरे िदल

न मचल मेरे िदल न मचल
ये है खाबों का तेरे महल
खाव टूटेगा जाएगा िबखर
कोई उडता है क्या पँखो के िबन
कोई जीता है क्या सांसो के िबन
मान हकीकत तू थाम ले जीगर
न मचल मेरे .....

.....milap singh bharmouri

Wednesday, 10 April 2013

खूदा का नाम

िकसको दूर करूं
िकसको नजदीक करूं
जो बस में ही नहीं है
उसे कैसे ठीक करूं
ओर चारा ही नहीं हैं
ओर गूजारा ही नहीं
बस खूदा का नाम लूं
मैं और चुपचाप रहूं

.....milap singh bharmouri

दहर-ए-शरीकी

उजाले की दोस्ती है
अनजान है तारीकी में
यहाँ तक ही पहूंच पाया
सोचा जब भी बारीकी में
इक तू ही साथ है बस
मूझे तेरी ही आस  है
यूं तो िकतने ही लोग है
इस दहर-ए-शऱीकी में

.....milap singh bharmouri

Tuesday, 9 April 2013

भ्रष्टाचार के खिलाफ


ये ईंटें नही फक्त
इनमे तारिख की 
निशानी है
इनमे हैवानों की 
हैवानियत है
और देशभक्तों की जवानी है
जरा गौर से देखो इन निशानों को 
गोलियां सहती लाशों और दीवारों को
देशभक्ति की ये प्रथा 
भ्रष्टाचार के खिलाफ 
आज भी हमको निभानी है


....milap singh bharmouri

Monday, 8 April 2013

मिटती क्यों नही गरीबी


अगर नामुमकिन नही है कुछ भी
इस जहान में 
तो मिटती क्यों नही गरीबी मेरे
हिंदुस्तान से 

इन झुगियों से जैसे कोई वास्ता नही है
इस चश्मे - पुरआव की कोई दास्ताँ नही है
बस निकल लेते है काफिले इधर से 
अनजान से 

नेमते -खुल्द -में वो जिए जा रहे है
सियासतों पे सियासत किए जा रहे है
देखें तो इक झलक इधर भी वो
सब्र - -ताव से 




....milap singh bharmouri


चश्मेपुरआव -- आंसुओं से भरी आँख , नेमते –खुल्द -- स्वर्ग जैसा सुख , सब्र - –ताव -- सहास से




Sunday, 31 March 2013

समान अवसर नही था


वो कहता है
मेरा बच्चा काबिल था
कामयाबी पा गया है 
मै कहता हूँ खुशनसीब था 
मौके का फायदा उठा गया है

जब उसका बच्चा 
आखर ज्ञान सीख रहा था 
मेरा बच्चा
दुनिया की नजरें पढ़ रहा था
कटोरे में भीख मांग रहा था

जब वह मौसम से बेखबर
बंद कमरे में सो रहा था
तब मेरा बच्चा 
झुग्गी में 
सर्दी -गर्मी , तूफान -ओले से
बाकिफ हो रहा था

जब तेरा बच्चा 
रोज-रोज महंगे -महंगे 
खिलौने मांगता था
तब मेरा बच्चा 
कूड़े के ढेर में 
कोई खजाना खोजता था

अरे ! तू बोलता है
यहाँ अवसर की समानता है
तू क्यों झूठ पे झूठ बोलता है
मेरा बच्चा तो स्कुल जा ही न सका
और तूने माया के बल से लिया पढ़ा 

फिर ये कैसी समानता है
समझ नही आता ये कैसी अज्ञानता है
मुझे यकीन है मेरा बच्चा तेरे बच्चे से 
कहीं ज्यादा चतुर था 
पर अफ़सोस ! 
दोनों के लिए 
जिन्दगी का 
समान अवसर नही था 




मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 30 March 2013

या मै अनपढ़ हूँ


या मै  अनपढ़ हूँ 
इसलिए मुझे बात समझ नही आती 
या वो बडबोला है 
बस वह बोलने का ही है  आदि

वो कहता है यहाँ पर 
हर आदमी समान है
मै कहता हूँ के वह 
इस दुनिया से ही अनजान है

या वो अनजान है
या अनजानेपन का ढोंग करता है
या मानसिकता कलुषित है
या उसके मन में
कोई रोग पलता है

क्या वो अँधा है 
रोज उसे अपने महल से निकलते
रास्ते में मेरी झुग्गी दिखाई नही देती
क्या वो बहरा है 
उसे मेरे भूखे बच्चे की
रोने की आवाज सुनाई नही देती 

वो अक्क्सर कहता है
कभी अखवारों में 
कभी टी. वी. पे 
कभी भूखों की भीड़ में
इन्ही बाजारों में
कि यहाँ पर सब इन्सान बराबर है



मिलाप सिंह भरमौरी 

Thursday, 28 March 2013

रिश्ते बड़े हिन् (bharmouri boli me )


रिश्ते बड़े हिन् निभाने ताये
बस निभाने रा गाओं करना ता 
जे निभाने रा गाओं करना ता 
फिरि लचर -पचर करना ना

जे दुनिया मंज अम्मा -बापू बनना 
ता अपना फर्ज भी पूरा करना
बच्चे रा पालन -पोषन करना
वादिया स्कूला मा दाखल करना 
जुए -शराबा कनारी मनुआ 
हथ्थ कदी भी करना ना 

जे दुनिया मा धीऊ -पुत्र बनना
ता अपना फर्ज भी पूरा करना
अम्मा -बापू रा हेर उपर रखना
कदी कस्सी रे ना थल्ले करना 
तुन्दे भुन्दे प्यारे मनुओ 
तिन्याँ जो पेया कदी हथ्थ तडना ना 


रिश्ते बड़े हिन् निभाने ताये
बस निभाने रा गाओं करना ता 
जे निभाने रा गाओं करना ता 
फिरि लचर -पचर करना ना



milap singh bharmouri

Wednesday, 27 March 2013

बड़ी हड्ड जलाऊ हा ( bharmouri boli me )


बड़ी हड्ड जलाऊ हा इंदी कमाई
ऐवा-कुऐवा मा ऐ ना गवानी

वेही करी हाना ताई  कंटीना मा
अनर्थे- व्यर्थे तुसु ना लुटानी

क्जोकी बुरे री सोग बुरी ही भुन्दी
बुरे सोगी ना आंटचारी लानी

पढ़ा -लिखा ,भाईओं अघुं बदा
पर अपनी पहचान ना कदी भुलानी


milap singh bharmouri

Monday, 25 March 2013

एक गाल पर हरा रंग लगाता



एक गाल पर हरा रंग लगाता
दूजे को करता लाल
चुनरी कुर्ती भिगो देता सब
और उलझा देता बाल
बस-बस मत -बस करती तुम
पर बस न करता मै
सोच आज मै तेरे साथ जो होता
क्या होता तेरा हाल


आपको और आपके सारे परिवार को मेरी ओर से होली की बहुत-बहुत मुबारक 



milap singh bharmouri

लाल -गुलाला री (holi gaddi boli me )


लाल -गुलाला री 
होली खेडी 
औडन करे खराब
गोबरा रा नील 
मुँहा पुर फेंकू
साबने दिता जबाब
जे भक्ति रे रंगा री
होली जे खेड्डिया 
खुश भून  महाराज
मन ते हिरदे 
जगमग लिश्कन
अघुहं बदा समाज 


milap singh bharmouri

Sunday, 24 March 2013

चलुरा तूफान (bharmouri boli ki kavita)


चलुरा तूफान 
सोगी लगूरी झड़ी ओ
होना नई गुजारा
मनु रख्खा थल्ले खड़ी ओ

भो न उदास तू
ते छड मत आस तू
मुकना ऐ फेरा तेरा
मुक्दरा जो लड़ी ओ

सुख -दुःख मना 
सब दितुरे तीसरे हिन्
जो भी हा घड़ी मन
हा सो खरी ओ

करना की मान इस
जिन्दगी जुआरी रा
पानी रे ने मोती 
हा री हा लड़ी ओ


milap singh bharmouri

Friday, 22 March 2013

माओ रा प्यार (gaddi boli ki kavita )




सब्बी तोउ चनना
सब्बी तोउ निराला
सब्बी तोउ मिट्ठा 
माओ रा प्यार
इट्ठी हा कशी 
इट्ठी हा सुरग 
इट्ठी हा मनुआ 
हरी रा द्वार

मुसुकेहे बशाना जो
खुशबू बल्दी
बच्चे जो हुक्के 
कनारे करदी
सिन्ने मा अपने 
बरेख्खा जो धरदी 
दिन्दी माँ बच्चे जो
अमृत री धार
सब्बी तोउ चनना
सब्बी तोउ निराला
सब्बी तोउ मिट्ठा 
माओ रा प्यार

जेहने माँ बच्चे जो
उदास हेरदी
 टिपले सोगी 
हाखरी जो छेडदी 
कदी सो कोई काडू पिलान्दी
कदी मुंडा पुर 
पिपली परेडदी
पल्ला मंज करदी सो
टूने हजार 

सब्बी तोउ चनना
सब्बी तोउ निराला
सब्बी तोउ मिट्ठा 
माओ रा प्यार


milap singh bharmouri

Thursday, 21 March 2013

शैल बड़े थिए ( gaddi boli ki kavita )


शैल बड़े थिए बचपना रे धियाड़े
हर मौके -मौज उडांदे थिए 
इन्दे-गंदे स्कूला जो 
सेओ ते चीर चुरांदे थिए

रंग -बरंगी कहानी री जेहने
हानी सोगी गप्पा पेंदे थिए
गांगी,बैलू ,कुक्नू ताऊ 
फिरि बड़ा उजाडा क्रांदे थिए

अम्मा -बापू ,दादू -दादी
जेहने कोई कम बतांदे थिए
स्कूला रा कम करना लगुरे
बड़ा शैल बहाना बनांदे थिए

घरावाले हीता तोऊ बचाने तांऐ
थुल्ले-थुल्ले ओडन लोआँदे थिए
पर असे चोरी -चोरी मोटे तोऊ
बत्ता मंज स्केट च्लांदे थिए



मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 21 February 2013

समाज में समानता आ गई है


समाज में समानता गई है

आज अचानक मैं
अपने नीम हकीम के पास पहुंचा
मुंह के उपले दांत का
मिजाज था मुझसे कुछ रूठा
मन मंजर को देख के
कुछ चक्कर सा खा गया
इस झोलाछाप के पास
आज कैसे मिनिस्टर गया

चेतना को परखने के लिए
खुद को हल्के से थप्पड़ भी जड़े थे
पर बाहर तो पर्ची की कतार में
कुछ और नामी लोग खड़े थे
फिर सवालों भरी नजर से
मैने मंत्री की और देखा
जबावी अंदाज में उसने भी
अपनी ऊँगली से इशरा फैंका
सोच क्या रहे हो
सुबह की अख़बार नही पढ़ी  है
अब हर जगह पर समानता गई है
सुन के बात को
दिल फुले नही समाया
दिखाकर दांत को मैने
वापिसी को कदम बढ़ाया
कुछ ही दुरी पर
इक नामी मंहगा स्कूल नजर आया
शायद किसी फ़िल्मी एक्टर को
इसने था पढ़ाया
इसके गेट पर फिर मेरे
दिमाग में चक्कर खाया
गली के इक भिखारी का
बच्चा बाहर आते नजर आया
पीठ पर उसके मंहगा- सा
स्कूल बेग नजर आया
मैने भी धीरे-धीरे
बच्चे की तरफ कदम बढ़ाया
चकित -विस्मित मन मेरा
कुछ सोच ही रहा था
बच्चे ने नन्हा -सा हाथ
ऊँगली उठाते हुए उठाया
अंकल सोच क्या रहे हो
अभी-अभी यहाँ पर मैने
एडमिशन है पाया
तुमने? एडमिशन ?यंहा ?
झट मुंह पर मेरे आया
क्यों नही ? अंकल
आपने सुबह की अख़बार नही पढ़ी है ?
आज पुरे समाज में समानता गई है
जब उसने भी अख़बार का जिक्र किया
तो मै भी बगल की पतली गली से निकल लिया
अख़बार पढ़ी थी या नही
कुछ अखर सा रहा था
सब कुछ जैसे मानो
इक स्वप्न -सा चल रहा था
मैने सम्भलकर
कोशिस भी की चेतना परखने  की
हाथ -पांव झटकने की
पर सब कुछ असली -सा लग रहा था
आगे देखा तो कुछ ओर तमाशा चल रहा था
कोई सौ मीटर की दुरी पर
दिख रहा था पंचायत घर
उसकी तरफ लगातार भीढ़ बढ़ रही थी
शायद कोई आपात बैठक चल रही थी
मेरे मन में भी कोतुहल बढ़ा
मै ओर तेज कदमों से आगे चला
ये क्या ?
पंचायत में
अपनी-अपनी संम्पत्ति को लेकर
सब प्रधान के पास जा रहे थे
कोई बैंक के अकाउंट
कोई अपनी जमीं के कागज ला रहे थे

अथाह संम्पत्ति के मालिक
अमीर लोग प्रधान को बता रहे थे
बाँट दो हमारा सारा धन बराबर -बराबर
एक के बाद एक
अपने अकांउट उसे दिखा रहे थे
यह क्या? ये भूमि के मालिक
अपनी- अपनी जमीन के नक्शे
प्रधान को थमा रहे थे
बाँट दो सबमे बराबर -बराबर भूमि
साथ में रजिस्ट्री भी दिखा रहे थे
मै धीरे से आगे बढ़ा
समीप जहाँ पे प्रधान था खड़ा
मैने उसकी तरफ देखा
बिलकुल वैसे ही जैसे पहले था देखा
प्रधान ने जैसे मेरे
मुंह से सवाल था छिना
क्या सोच रहे हो ?
सच है जो देख रहे हो
अब कोई भी जहाँ में गरीब नही है
सब के पास बराबर पैसा है
अब कोई भी नही
जहाँ में भूमिहीन
अब सबके पास बराबर भूमि है


milap singh bharmouri

ye kavita ka pehla part hai, jaldi hi dusra part bhi post karunga.