milap singh

milap singh

Friday, 31 October 2014

Uphaar


अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके

तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते

कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में

आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 30 October 2014

Jiya jaye


संभल संभल कर भी
कितना जहाँ में जिया जाए

चलो उस पे भी
कुछ भरोसा अब किया जाए

बहुत रह लिए बनकर
बनावटी से हम

अब असलियत का भी
कुछ मजा लिया जाए

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 29 October 2014

Kissing day 2nd nov.

उसको मोहब्बत नहीं
हवस कहते हैं
पब्लिक प्लेस पर जो
कस के kiss करते हैं

मोहब्बत तो वरना
नजरों से भी व्यान हो जाती है
क्यों फिर कुछ लोग
kissing day मनाने की जिद्द करते हैं

विफल हो जाएगी उनकी
दो नवंबर की योजना
आखिर हर युवा में
इंडियन दिल धडकते हैं

रह जाएगें सिर्फ दो चार
भाडे के kiss करने वाले
यह अनैतिकता फैलाने वाले
खुद को क्या समहते हैं

यह बहुत बडा तमाचा होगा
इन पाखंडियो के लिए
अगर इस दिन हम सब
भारतीय संस्कारों के संग
घर से बाहर निकलते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 28 October 2014

दिल के दरवाजे पर


दिल के दरवाजे पर अब
किसी के आने की आहट न रही

इश्क के लुत्फ के आगे
अब ओर कोई राहत न रही

इतना चाहा है आपने
इस अदना से आदमी को कि

ओर कोई चाहे दुनिया में हमें
ऐसी कोई चाहत न रही

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 26 October 2014

Nasha hai nash


नशा है नाश की आधारशिला
फिर न करना वंदे तू गिला

वो दोस्त नहीं दुश्मन है तेरा
आज मुफ्त में तुझे जो रहा पिला

क्यों करता है बहाने गम छुपाने के
अब तक तो हुआ न इससे भला

अपनी तो सेहत बिगाड ही रहा है
सुख शांति भी घर की तू रहा जला

जड मत बन जा बोतल के आगे
सोच तू कुछ अपना दिमाग हिला

अपने घरवालों के बारे में सोच
क्यों दे रहा उन्हें पी पी कर तू सजा

कुछ अच्छे काम को भेजा था उसने
तू दे रहा है क्या मगर सिला

   ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 25 October 2014

नशे की आदत

बहुत बुरी है नशे की आदत
घर में रहती है सदा ही बगावत

तन मन धन सब खो जाता है
कभी न डालना गले यह आफत

सिकुड जाता है सोच का दायरा
सब रौंद डालती है यह शराफत

सफेद कालर नहीं रौब जमाती
कीचड में रौलती है यह इज्जत

अभी भी वक्त है तू सुधर जा वंदे
देख हलात की कुछ तो नजाकत

  ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 24 October 2014

Agar tu mil jaye

अगर तू मिल जाए तो
कुछ कमी न रहेगी जिंदगी में

जल उठेंगे चिराग कोने कोने में
भर जाएगा घर खुशी से

हर तरफ से लगेगा जहां मुक्कमल
कुछ न चाहेगा फिर दिल

नूर ही नूर होगा जन्नत सी लगेगी
यह जमीं हर कहीं से

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 23 October 2014

बुरा देखा

तेरे बारे  में कब  मैंने बुरा सोचा
तू  बेबफा थी मगर  खुदा  सोचा
हर सितम को तेरे मैं सहता गया
मेरा मुक्कदर है  यह कहता गया
पर  तुमने मुझमें  क्या  बुरा देखा

---------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 22 October 2014

Meri aankhon

मेरी आँखों में तेरा चेहरा है
और जुवान पर हैं तेरी बातें

मेरे दिल में तेरी धडकन है
और मेरे मन में हैं तेरी यादें

अब तुमसे बिछुड कर कैसे रहूं
खुद को मुकम्मल कैसे कहूं

तू रूह में आकर बस गई है
अब तेरे नाम से चलती हैं सांसे

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 21 October 2014

Happy Deepavali

स्वदेशी  दीपक  स्वदेशी  लडियां

स्वदेशी  पटाखे स्वदेशी  फुलझडियां

स्वदेशी सामग्री  और पूजा  की थाली

क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली  ???

------ मिलाप सिंह भरमौरी

स्वदेशी दिवाली मुबारक

स्वदेशी  दीपक  स्वदेशी  लडियां
स्वदेशी  पटाखे स्वदेशी  फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री  और पूजा  की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली

------ मिलाप सिंह भरमौरी

दीपावली की शुभकामना

मिट्टी के दीये में
सरसों का तेल
अक्षित से लक्ष्मी के पैर उकेर
मंगलमय हो सबको दिवाली
स्वीकार करो सब बधाईयों का ढेर !

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 20 October 2014

Happy Deepawali

देखो न पैसे के पीर
कैसे कैसे पैसा ऐंठ रहे हैं

मिठाई की जगह दुकानों में
विषैला पदार्थ बेच रहे हैं

सबको पता है जो पकडे गए हैं
छूट जाएगें दो दिन बाद

मूक बधिर हुए सभी
खडे खडे तमाशा देख रहे हैं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 19 October 2014

अपनी मोहब्बत


अपनी मोहब्बत कुछ भी नहीं
उनकी बेबफाई कुछ भी नहीं

किस्मत की लकीरें मत बदलो
किस्मत से ज्यादा कुछ भी नहीं

मेरे आंसुओं का सबब न पूछो
कुछ तारे टूटे हैं कुछ भी नहीं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Happy Deepawali


दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Happy Deepawali


दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां

सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 18 October 2014

तेरी खुशबू छुपी है


तेरी  खुशबू  छुपी  है  हवाओं  में
आओ  झूमें  मस्त  फिजाओं  में
आज  लगता  है  इतना  रंगीन  जो  समां
तेरे  होठों  को छू  कर  आई  है  हवा
मैं  भी  रंग  जाऊं  आओ  बाहों  में

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 17 October 2014

बचपन


छोटी छोटी बातों पर जब
जोर से खुलकर रो लेते थे

बचपन के वो दिन
बहुत ही सुंदर होते थे

अपने पराये का पता नहीं था
सब कुछ न्यारा लगता था

चांद सितारों पर चलने के
जब सुंदर सपने बोते थे

------ मिलाप सिंह भरमौरी

सपने


बचपन में सपने भी
कितने सुन्दर आते थे
आसमान में बिन पंखों के
खुद को उडते पाते थे

थोडे से जब बडे हुए
स्कूल कालेज को जाने लगे
फिर सपनों में भी सुंदर सुंदर
हसीन चेहरे आने लगे

जब बुढापे में पहुंच गए
तो सपने भी डराने लगे
मरे हुए लोगों से फिर
शमशान घाट पर बतियाने लगे

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 16 October 2014

कर रहा तरक्की

त्वांग से लेकर विजयनगर तक
इक लम्बी चौडी सडक का निर्माण

सरहद को सुरक्षित करने का है
यह बहुत ही अच्छी कूटनीति का प्रमाण

क्यों न हो फिर यह आग बबूले
दो पडौसी हमारे जैसे फटे झौले से

सचमुच बिखेर रहा है अब उर्जा के पुंज
और कर रहा है तरक्की अपना हिन्दुस्तान

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 15 October 2014

बेरोजगारी में


बेरोजगारी में राह चलते हुए
जब पडौसी मुस्कुराकर पूछता है

अभी काम नहीं बना कहीं पर बेटा
तो शर्म का दरिया सा मन में कूदता है

कामयाबी की तो कोई भी चर्चा
नहीं करता है इस जहाँ में लेकिन

नाकामयाबी में तो दोस्त हर कोई
यहाँ पर तरह तरह से मजे लूटता है

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 14 October 2014

जवर तेरा


समुन्दर के किनारे रेत पे लिखा
कब तक आखिर टिक पाएगा

आती हुई लहर से यकीनन
या पैरों से किसी के मिट जाएगा

क्योंकि मद से है अभी आंख भरी
जायज ही लगेगा अपना सब

जोश -जोश में होश कहाँ है
इसलिए खुद को ही मान रहा है रव

पर बेवक्त देखना इक दिन सब
तुझे जवर तेरा दिख जाएगा

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 13 October 2014

Ho jaye bharam


चेहरा ऐसा रखो कि
खुद को भी हो जाए भरम

खुशनुमा खुशनुमा
हर तरफ सब आए नजर

खुद मिट जाऐंगे फिर
देखना दाग गम के सभी

दर्द हो जाएगें तेरे
सब के सब फिर दफन

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 7 October 2014

बहुत गहरा है इश्क

बहुत गहरा है इश्क का समुंदर
इसमें खोने पाने का कोई सवाल नहीं रहता

महबूब की तो नख शिख की खबर होती है
मगर अपना कुछ भी ख्याल नहीं रहता

नरम हो जाते हैं फिर कठोर दिल वाले भी
चेहरे पर वो नफरत वो उबाल नहीं रहता

---------- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 6 October 2014

गम न मिले


गम न मिले कभी कोई तुम्हें
खुशियाँ तुम्हें हजार मिले

कभी कदमों को तेरे ठोकर न लगे
कामयाबी तुम्हें बेशुमार मिले

सामना न हो कभी खिजाओं से तेरा
हर पल हर कदम पर बहार मिले

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 5 October 2014

महिलाओं के लिए आरक्षित

यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है
बडे बडे अक्षरों में शब्द हर बस में लिखे होते है
पर गोद में बच्चे लेकर खडी होती है महिलाएं
और तगडे मुच्छटंडे सीट पर आराम से बैठे होते है
यह सच है कि मांगने से नही मिलते हैं हक कभी भी
यह तो  खुद शेर के जबडे से निकाल कर छीनने होते  हैं

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

तेरी यादें


तेरी यादें  मुझसे  कुछ कहती हैं
तू  अभी भी मेरे दिल में  रहती है
वो जमाना फिर उमड के आता है
तू  आंखों से  फिर कुछ  कहती है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 4 October 2014

जरूरी उम्मीदें


मोहब्बत इनायत बफा की उम्मीदें
सभी  की सभी  है अधूरी  उम्मीदें
मालूम  नहीं  है  पूरी  हो  के  न हो
पर जीने के लिए हैं जरूरी उम्मीदें

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

दर्द दिल के


दर्द  दिल के  मैं  सहूंगा  कैसे
बिन तेरे  तन्हा मैं रहूँगा  कैसे
इसमें भी  होगी तेरी रुसवाई
पता तेरा किसी से पूछूंगा कैसे

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 3 October 2014

Kal or aaj

दादा ने दी दान में
और एक गरीब हो गया आबाद

पोते के मन में भर गया लालच
उजाडने को
कोर्ट कचहरी की छान रहा खाक

कल और आज
का फर्क देख कर
भगवान भी हो गया हैरान

     ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 2 October 2014

दशहरा मुबारक


अच्छाई की ही जीत होती है
चाहे कितनी भी हो सबल बुराई

रावण का वध तो तय ही था
अधर्म की राह थी उसने अपनाई

श्री राम चंद्र को याद करते हुए
सभी को हो आज दशहरे की बधाई

------ मिलाप सिंह भरमौरी

पेड के नीचे


पेड की  छाया में
पत्थर पर बैठकर

बहुत अच्छी लगती है
मक्की की सरसराहट

आत्मा का जैसे
हो परमात्मा से मिलन

जीवन में आती है
जैसे सकून की आहट

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 1 October 2014

स्वच्छ भारत अभियान


हाथ मुँह धोने से नहीं काम चलेगा
करना होगा अब पूरा सनान

साफ सफाई का हर क्षेत्र में
रखना होगा सबको विषेश ध्यान

सुधर जाओ अब अलसी लोगों
तुम्हारी तो अब खैर नहीं हैं

क्योंकि शुरू हो गया है आज से
देश में स्वच्छ भारत अभियान

------- मिलाप सिंह भरमौरी