अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके
तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते
कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में
आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से
------ मिलाप सिंह भरमौरी
A place for original Hindi shayari sad shayari romantic shayari hindi kavita and pahari kavita of milap singh
अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके
तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते
कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में
आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से
------ मिलाप सिंह भरमौरी
संभल संभल कर भी
कितना जहाँ में जिया जाए
चलो उस पे भी
कुछ भरोसा अब किया जाए
बहुत रह लिए बनकर
बनावटी से हम
अब असलियत का भी
कुछ मजा लिया जाए
------- मिलाप सिंह भरमौरी
उसको मोहब्बत नहीं
हवस कहते हैं
पब्लिक प्लेस पर जो
कस के kiss करते हैं
मोहब्बत तो वरना
नजरों से भी व्यान हो जाती है
क्यों फिर कुछ लोग
kissing day मनाने की जिद्द करते हैं
विफल हो जाएगी उनकी
दो नवंबर की योजना
आखिर हर युवा में
इंडियन दिल धडकते हैं
रह जाएगें सिर्फ दो चार
भाडे के kiss करने वाले
यह अनैतिकता फैलाने वाले
खुद को क्या समहते हैं
यह बहुत बडा तमाचा होगा
इन पाखंडियो के लिए
अगर इस दिन हम सब
भारतीय संस्कारों के संग
घर से बाहर निकलते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
दिल के दरवाजे पर अब
किसी के आने की आहट न रही
इश्क के लुत्फ के आगे
अब ओर कोई राहत न रही
इतना चाहा है आपने
इस अदना से आदमी को कि
ओर कोई चाहे दुनिया में हमें
ऐसी कोई चाहत न रही
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
नशा है नाश की आधारशिला
फिर न करना वंदे तू गिला
वो दोस्त नहीं दुश्मन है तेरा
आज मुफ्त में तुझे जो रहा पिला
क्यों करता है बहाने गम छुपाने के
अब तक तो हुआ न इससे भला
अपनी तो सेहत बिगाड ही रहा है
सुख शांति भी घर की तू रहा जला
जड मत बन जा बोतल के आगे
सोच तू कुछ अपना दिमाग हिला
अपने घरवालों के बारे में सोच
क्यों दे रहा उन्हें पी पी कर तू सजा
कुछ अच्छे काम को भेजा था उसने
तू दे रहा है क्या मगर सिला
------- मिलाप सिंह भरमौरी
बहुत बुरी है नशे की आदत
घर में रहती है सदा ही बगावत
तन मन धन सब खो जाता है
कभी न डालना गले यह आफत
सिकुड जाता है सोच का दायरा
सब रौंद डालती है यह शराफत
सफेद कालर नहीं रौब जमाती
कीचड में रौलती है यह इज्जत
अभी भी वक्त है तू सुधर जा वंदे
देख हलात की कुछ तो नजाकत
------- मिलाप सिंह भरमौरी
अगर तू मिल जाए तो
कुछ कमी न रहेगी जिंदगी में
जल उठेंगे चिराग कोने कोने में
भर जाएगा घर खुशी से
हर तरफ से लगेगा जहां मुक्कमल
कुछ न चाहेगा फिर दिल
नूर ही नूर होगा जन्नत सी लगेगी
यह जमीं हर कहीं से
------- मिलाप सिंह भरमौरी
तेरे बारे में कब मैंने बुरा सोचा
तू बेबफा थी मगर खुदा सोचा
हर सितम को तेरे मैं सहता गया
मेरा मुक्कदर है यह कहता गया
पर तुमने मुझमें क्या बुरा देखा
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
मेरी आँखों में तेरा चेहरा है
और जुवान पर हैं तेरी बातें
मेरे दिल में तेरी धडकन है
और मेरे मन में हैं तेरी यादें
अब तुमसे बिछुड कर कैसे रहूं
खुद को मुकम्मल कैसे कहूं
तू रूह में आकर बस गई है
अब तेरे नाम से चलती हैं सांसे
----- मिलाप सिंह भरमौरी
स्वदेशी दीपक स्वदेशी लडियां
स्वदेशी पटाखे स्वदेशी फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री और पूजा की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली ???
------ मिलाप सिंह भरमौरी
स्वदेशी दीपक स्वदेशी लडियां
स्वदेशी पटाखे स्वदेशी फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री और पूजा की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मिट्टी के दीये में
सरसों का तेल
अक्षित से लक्ष्मी के पैर उकेर
मंगलमय हो सबको दिवाली
स्वीकार करो सब बधाईयों का ढेर !
------ मिलाप सिंह भरमौरी
देखो न पैसे के पीर
कैसे कैसे पैसा ऐंठ रहे हैं
मिठाई की जगह दुकानों में
विषैला पदार्थ बेच रहे हैं
सबको पता है जो पकडे गए हैं
छूट जाएगें दो दिन बाद
मूक बधिर हुए सभी
खडे खडे तमाशा देख रहे हैं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
अपनी मोहब्बत कुछ भी नहीं
उनकी बेबफाई कुछ भी नहीं
किस्मत की लकीरें मत बदलो
किस्मत से ज्यादा कुछ भी नहीं
मेरे आंसुओं का सबब न पूछो
कुछ तारे टूटे हैं कुछ भी नहीं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ
---- मिलाप सिंह भरमौरी
दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरी खुशबू छुपी है हवाओं में
आओ झूमें मस्त फिजाओं में
आज लगता है इतना रंगीन जो समां
तेरे होठों को छू कर आई है हवा
मैं भी रंग जाऊं आओ बाहों में
------- मिलाप सिंह भरमौरी
छोटी छोटी बातों पर जब
जोर से खुलकर रो लेते थे
बचपन के वो दिन
बहुत ही सुंदर होते थे
अपने पराये का पता नहीं था
सब कुछ न्यारा लगता था
चांद सितारों पर चलने के
जब सुंदर सपने बोते थे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
बचपन में सपने भी
कितने सुन्दर आते थे
आसमान में बिन पंखों के
खुद को उडते पाते थे
थोडे से जब बडे हुए
स्कूल कालेज को जाने लगे
फिर सपनों में भी सुंदर सुंदर
हसीन चेहरे आने लगे
जब बुढापे में पहुंच गए
तो सपने भी डराने लगे
मरे हुए लोगों से फिर
शमशान घाट पर बतियाने लगे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
त्वांग से लेकर विजयनगर तक
इक लम्बी चौडी सडक का निर्माण
सरहद को सुरक्षित करने का है
यह बहुत ही अच्छी कूटनीति का प्रमाण
क्यों न हो फिर यह आग बबूले
दो पडौसी हमारे जैसे फटे झौले से
सचमुच बिखेर रहा है अब उर्जा के पुंज
और कर रहा है तरक्की अपना हिन्दुस्तान
------- मिलाप सिंह भरमौरी
बेरोजगारी में राह चलते हुए
जब पडौसी मुस्कुराकर पूछता है
अभी काम नहीं बना कहीं पर बेटा
तो शर्म का दरिया सा मन में कूदता है
कामयाबी की तो कोई भी चर्चा
नहीं करता है इस जहाँ में लेकिन
नाकामयाबी में तो दोस्त हर कोई
यहाँ पर तरह तरह से मजे लूटता है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
समुन्दर के किनारे रेत पे लिखा
कब तक आखिर टिक पाएगा
आती हुई लहर से यकीनन
या पैरों से किसी के मिट जाएगा
क्योंकि मद से है अभी आंख भरी
जायज ही लगेगा अपना सब
जोश -जोश में होश कहाँ है
इसलिए खुद को ही मान रहा है रव
पर बेवक्त देखना इक दिन सब
तुझे जवर तेरा दिख जाएगा
----- मिलाप सिंह भरमौरी
चेहरा ऐसा रखो कि
खुद को भी हो जाए भरम
खुशनुमा खुशनुमा
हर तरफ सब आए नजर
खुद मिट जाऐंगे फिर
देखना दाग गम के सभी
दर्द हो जाएगें तेरे
सब के सब फिर दफन
------ मिलाप सिंह भरमौरी
बहुत गहरा है इश्क का समुंदर
इसमें खोने पाने का कोई सवाल नहीं रहता
महबूब की तो नख शिख की खबर होती है
मगर अपना कुछ भी ख्याल नहीं रहता
नरम हो जाते हैं फिर कठोर दिल वाले भी
चेहरे पर वो नफरत वो उबाल नहीं रहता
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
गम न मिले कभी कोई तुम्हें
खुशियाँ तुम्हें हजार मिले
कभी कदमों को तेरे ठोकर न लगे
कामयाबी तुम्हें बेशुमार मिले
सामना न हो कभी खिजाओं से तेरा
हर पल हर कदम पर बहार मिले
---- मिलाप सिंह भरमौरी
यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है
बडे बडे अक्षरों में शब्द हर बस में लिखे होते है
पर गोद में बच्चे लेकर खडी होती है महिलाएं
और तगडे मुच्छटंडे सीट पर आराम से बैठे होते है
यह सच है कि मांगने से नही मिलते हैं हक कभी भी
यह तो खुद शेर के जबडे से निकाल कर छीनने होते हैं
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
तेरी यादें मुझसे कुछ कहती हैं
तू अभी भी मेरे दिल में रहती है
वो जमाना फिर उमड के आता है
तू आंखों से फिर कुछ कहती है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मोहब्बत इनायत बफा की उम्मीदें
सभी की सभी है अधूरी उम्मीदें
मालूम नहीं है पूरी हो के न हो
पर जीने के लिए हैं जरूरी उम्मीदें
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
दर्द दिल के मैं सहूंगा कैसे
बिन तेरे तन्हा मैं रहूँगा कैसे
इसमें भी होगी तेरी रुसवाई
पता तेरा किसी से पूछूंगा कैसे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
दादा ने दी दान में
और एक गरीब हो गया आबाद
पोते के मन में भर गया लालच
उजाडने को
कोर्ट कचहरी की छान रहा खाक
कल और आज
का फर्क देख कर
भगवान भी हो गया हैरान
---- मिलाप सिंह भरमौरी
अच्छाई की ही जीत होती है
चाहे कितनी भी हो सबल बुराई
रावण का वध तो तय ही था
अधर्म की राह थी उसने अपनाई
श्री राम चंद्र को याद करते हुए
सभी को हो आज दशहरे की बधाई
------ मिलाप सिंह भरमौरी
पेड की छाया में
पत्थर पर बैठकर
बहुत अच्छी लगती है
मक्की की सरसराहट
आत्मा का जैसे
हो परमात्मा से मिलन
जीवन में आती है
जैसे सकून की आहट
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हाथ मुँह धोने से नहीं काम चलेगा
करना होगा अब पूरा सनान
साफ सफाई का हर क्षेत्र में
रखना होगा सबको विषेश ध्यान
सुधर जाओ अब अलसी लोगों
तुम्हारी तो अब खैर नहीं हैं
क्योंकि शुरू हो गया है आज से
देश में स्वच्छ भारत अभियान
------- मिलाप सिंह भरमौरी