milap singh

milap singh

Sunday 4 February 2024

प्रकृति

खुशियां भी हैं गम भी है
ये आता - जाता दम ही है।

जीवन की क्या बात करें
जटिल भी है सरल भी है ।

बारिश की बूंदे क्योंकर मापें
ज्यादा भी है कम भी है।

हालात पे जब डाली दृष्टि
सम भी है विषम भी है।

बेअदवी पे रंजिश कैसी
प्रकृति का अपना नियम भी है।

..... मिलाप सिंह भरमौरी