milap singh

milap singh

Friday 30 November 2012

tere honton pe




तेरे होंठो पे



तेरे होंठो पे सनम नही क्यों है 
में बेबफा हूँ तुजे यकीन क्यों है 

तेरे लिए में कितनी दूर आया हूँ
तू उसी मोड़ पर अभी खड़ी क्यों है

मैं न छोडूंगा तन्हा तुझे कभी भी 
इजहारे मोहबत से तू डरी क्यों है

किस ख्याल ने तुझे उलझाया है 
तेरी आँखों में ये नमी क्यों है

दिन बदलते ही लोग बदल जाते है 
मेरा दिल जहाँ कल था वहीं क्यों है 

मैं बेबफा नही रुस्बा न होने दूंगा 
फेर के रुख मुझसे तू चली क्यों है

माना तेरे होंठो पे इंकार ही है
फिर भी दिल में कसक सी दबी क्यों है

milap singh


Thursday 29 November 2012

shrab ki botal



शराब की बोतल


कितनी प्यारी है ये शराब की बोतल 
डोल जाते है इसे देख के कितने मन 

जब कहीं इसको इक बार खोल देते है
फिर वहां से जाने को नही करता मन

ये मेरे गम -ख़ुशी में शरीक होती है
अजीब सा बन गया है इससे अपनापन 

जाम के बाद जाम जब में उठाता हूँ
साथ -ही -साथ में  घटते है मेरे गम

साथ देती है मेरा यह दर्द मिटने में 
जी में आता है रखूं पास इसे हरदम



MILAP SINGH

Tuesday 27 November 2012

jab mere pehlu se



जब मेरे पहलु से होकर के तू आती-जाती है 
मेरे जहन में कोई  ग़ज़ल झिलमिलाती है 

फूल खुशबु को उड़ा के समां रंगीन करते है
और हवा आँचल को उड़ा के अदा दिखाती है 

सुर्ख होंठो का तवसुम तेरे तोबा-तोबा 
महक जीस्म की तेरी जिगर को गुदगुदाती है

पहले ही इश्क में फिरता हूँ में घायल-घायल 
और क्या कहूँ जब तू अदा से मुस्कुराती है

मेरी धड़कन भी चलती है कुश ज्यादा-ज्यादा
तेरी पायल भी कुछ ज्यादा खनखनाती है


MILAP SINGH

Monday 26 November 2012

APNI MANJIL KI TARAF


अपनी मंजिल की तरफ 



अपनी मंजिल की तरफ रुख करें 
साँस तो है अभी और कुश चलें 

मिल जाएगी जरूर मक्सुदे मंजिल
इरादा कर के अगर तरफ बढें

सारी दुनिया में जो रोशन रहे
आओ दुनिया में काम ऐसा कुछ करे

प्यार में इतना तो लाजमी है मिलाप 
दर्द सहते रहे हम  और चुप रहें

आने वाला कल ही तो नई आस है
बीते कल का क्यों हम दुःख करें



MILAP SINGH

pahli pahli bar jab sharab pi mene


Ikgyh igyh ckj tc “kjkc ih eaSus



Ikgyh igyh ckj tc “kjkc ih eaSus
pSu dh lkal igyh ckj yh eSaus

igys rks viuk Hkh Hkkj yxrk Fkk
vcds teha dka/kksa is mBk yh eSaus

gjlwa gj eatj is yrkQr ns[kh
,d vjlk- , -ftanxh fcrk yh eSaus

vius gkFkksa ls tc tke mBk;k rks
;wa yxk bd maph fnokj fxjk nh eSaus

Eksjk thou vkSj xqfyLrka mtMk Fkk
Ek;dns esa ns[kh cgkj lh eSaus

Ek;dns esa ftanxh >werh lh ns[kh
blls igys ns[kh Fkh ykpkj lh eSaus


MILAP SINGH

Sunday 25 November 2012

Kus pal ke liye

रास्ता -
िबलकुल सूना था
चंद मुसािफर आए
कुछ पल के िलए
चंचलता की लहरे दौड पडी
िदलकशी छा गई
मुसािफर चले गए
रास्ता-
िफर सूना रह गया

रात-
िबलकुल सूनी थी
अँधेरी थी
भोर हुई सूरज िनकला
कुछ पल के िलए
हरसूँ रौशनी छा गई
चंचलता छा गई
सूरज चला गया
रात-
िफर सूनी रह गई

िजंदगी-
िबलकुल सूनी थी
कुछ मेहमान आए
स्वप्न बन कर
कुछ पल के िलए
ऐसा लगा, िजंदगी सँवर गई
स्वप्न टूटा
िजंदगी-
िफर सूनी रह गई

Friday 23 November 2012

sochte sochte

सोचते सोचते यूँही दिन गुजर जायेगा 
दिन गुजर गया तो नहीं फिर आएगा 



Tuesday 20 November 2012

संयुक्त िवशाल भारत Sanyukt Vishal Bharat

कैसा वो दौर था
कैसी थी हवाएँ
जब अपने प्यारे भारत को
लग रहीं थी बद्दुआएँ

जब घ्रीणा की दुर्गंध
हर ओर से थी आती
जब बन गया था वैरी
अपना धर्म- समप्रदाय और जाित

न जाने कैसी वो शतरंज थी
और कैसा था वो पासा
िजसने हर िकसी के मन में
भर दी थी िनराशा

कैसा वो दौर था
कैसी थी बहारें
जब दाडी-मूछ के भेद पर
बरस रही थी तलवारें

काश! के कोई न करता
उन सरहदों से शरार्त
काश! के अब भी होता
वो अपना संयुक्त िवशाल भारत

Sunday 18 November 2012

Khas Lamha खास लम्हा

दर्द इक एहसास ही तो है
राहत की आस ही तो है

हम नहीं इससे मुतािसर
हमको यह रास ही तो है

िजगर में होती है हलचल
यह इक प्यास ही तो है

ये है गर्मी का इक सबब
ये भी इक सांस ही तो है

याद आता है खूदा सबको
लम्हा यह खास ही तो है

Tumhare kabil तुम्हारे कािबल

मत कूदो उस समुंदर में
िजसका कोई सािहल न हो
आज हम तुम्हारे कािबल नहीं
शायद कल तुम हमारे कािबल न हो

        िमलाप िसंह ''अक्स''

MAT KUDO US SUMUNDER ME
JISKA KOI SAHIL NA HO
AAJ HAM TUMHARE KABIL NHI
SHAYAD KAL TUM HAMARE KABIL NA HO

milap singh

Friday 16 November 2012

Tere nam ki तेरे नाम की

तेरे नाम की हर शय से
मैंने िरश्ता तोड िलया
याद न आए तू मुझको
तेरे शहर को छोड िदया

संग के िदल में जब जरा भी
उल्लफत न जागी
पत्थर के पहाडो से टकरा के
हवा ने रुख मोड िलया

यह न सोचो ' िमलाप ' तुम्हारी
शामोसहर कहाँ गुजरेगी
शहर के इक सज्जन ने
मयखाना नया खोल िलया

िजंदगी की राह पे चलते
तूने नहीं कोई लापरवाही की
गम ओर इश्क भला िकसने
इस दुिनया में मोल िलया