A place for original Hindi shayari sad shayari romantic shayari hindi kavita and pahari kavita of milap singh
milap singh
Friday 30 November 2012
tere honton pe
Thursday 29 November 2012
shrab ki botal
Tuesday 27 November 2012
jab mere pehlu se
Monday 26 November 2012
APNI MANJIL KI TARAF
pahli pahli bar jab sharab pi mene
Sunday 25 November 2012
Kus pal ke liye
रास्ता -
िबलकुल सूना था
चंद मुसािफर आए
कुछ पल के िलए
चंचलता की लहरे दौड पडी
िदलकशी छा गई
मुसािफर चले गए
रास्ता-
िफर सूना रह गया
रात-
िबलकुल सूनी थी
अँधेरी थी
भोर हुई सूरज िनकला
कुछ पल के िलए
हरसूँ रौशनी छा गई
चंचलता छा गई
सूरज चला गया
रात-
िफर सूनी रह गई
िजंदगी-
िबलकुल सूनी थी
कुछ मेहमान आए
स्वप्न बन कर
कुछ पल के िलए
ऐसा लगा, िजंदगी सँवर गई
स्वप्न टूटा
िजंदगी-
िफर सूनी रह गई
Friday 23 November 2012
Tuesday 20 November 2012
संयुक्त िवशाल भारत Sanyukt Vishal Bharat
कैसा वो दौर था
कैसी थी हवाएँ
जब अपने प्यारे भारत को
लग रहीं थी बद्दुआएँ
जब घ्रीणा की दुर्गंध
हर ओर से थी आती
जब बन गया था वैरी
अपना धर्म- समप्रदाय और जाित
न जाने कैसी वो शतरंज थी
और कैसा था वो पासा
िजसने हर िकसी के मन में
भर दी थी िनराशा
कैसा वो दौर था
कैसी थी बहारें
जब दाडी-मूछ के भेद पर
बरस रही थी तलवारें
काश! के कोई न करता
उन सरहदों से शरार्त
काश! के अब भी होता
वो अपना संयुक्त िवशाल भारत
Monday 19 November 2012
Sunday 18 November 2012
Khas Lamha खास लम्हा
दर्द इक एहसास ही तो है
राहत की आस ही तो है
हम नहीं इससे मुतािसर
हमको यह रास ही तो है
िजगर में होती है हलचल
यह इक प्यास ही तो है
ये है गर्मी का इक सबब
ये भी इक सांस ही तो है
याद आता है खूदा सबको
लम्हा यह खास ही तो है
Tumhare kabil तुम्हारे कािबल
मत कूदो उस समुंदर में
िजसका कोई सािहल न हो
आज हम तुम्हारे कािबल नहीं
शायद कल तुम हमारे कािबल न हो
िमलाप िसंह ''अक्स''
MAT KUDO US SUMUNDER ME
JISKA KOI SAHIL NA HO
AAJ HAM TUMHARE KABIL NHI
SHAYAD KAL TUM HAMARE KABIL NA HO
milap singh
Friday 16 November 2012
Tere nam ki तेरे नाम की
तेरे नाम की हर शय से
मैंने िरश्ता तोड िलया
याद न आए तू मुझको
तेरे शहर को छोड िदया
संग के िदल में जब जरा भी
उल्लफत न जागी
पत्थर के पहाडो से टकरा के
हवा ने रुख मोड िलया
यह न सोचो ' िमलाप ' तुम्हारी
शामोसहर कहाँ गुजरेगी
शहर के इक सज्जन ने
मयखाना नया खोल िलया
िजंदगी की राह पे चलते
तूने नहीं कोई लापरवाही की
गम ओर इश्क भला िकसने
इस दुिनया में मोल िलया