milap singh

milap singh

Thursday 29 November 2012

shrab ki botal



शराब की बोतल


कितनी प्यारी है ये शराब की बोतल 
डोल जाते है इसे देख के कितने मन 

जब कहीं इसको इक बार खोल देते है
फिर वहां से जाने को नही करता मन

ये मेरे गम -ख़ुशी में शरीक होती है
अजीब सा बन गया है इससे अपनापन 

जाम के बाद जाम जब में उठाता हूँ
साथ -ही -साथ में  घटते है मेरे गम

साथ देती है मेरा यह दर्द मिटने में 
जी में आता है रखूं पास इसे हरदम



MILAP SINGH

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