milap singh

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Thursday 10 January 2013

सोचते-सोचते उहीं




सोचते-सोचते उहीं दिन गुजर जायेगा
दिन गुजर गया तो नही फिर आयगा

सम्भाल के रखो इस वक्त के आईने को
कुछ न हाथ आएगा गर बिखर जायेगा

हश्र क्या हो नराजगी से पता नही पर
रहम से उसके हाँ जीवन संबर जायेगा

एहतियात में बुराई क्या 'अक्स' अगर
जरा- सी गौर से कुछ निखर जायेगा


मिलाप सिंह



Monday 7 January 2013

उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया





उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया 
हमने इन्सान को पूजा धोखा मिला

दिल के आईने में मुड़ के जो देखा
अक्स उसमे 'मिलाप' अपना रोता मिला

मुफलिसी ने उसे घेर रखा था ऐसे
हर मोड़ पर बोझ बेचारा ढ़ोता मिला

अजीब अजनबी थी वो विरान जगह
मुक्कदर मेरा मुझे जहाँ सोता मिला

कुछ ऐसा आलम था तेरे शहर का
हर गली मोड़ पर खड़ा धोखा मिला


मिलाप सिंह

Thursday 3 January 2013

आप आयें तो





आप आयें तो हवाओं में लहर होती है
घटा बरसती है धरती पे महर होती है

कितनी मौजों को मेरे संग कर देते है
फीकी तस्बीर में प्यारे रंग भर देते है
आपके बिन जिन्दगी अधूरी होती है

दुनिया में बस अँधेरा ही अँधेरा है
दीखता तो कुछ नही कहने को सबेरा है
आप आयें तो मेरी भी सहर होती है

फूल -पत्ते -कलिय़ां खिल जाती है
खोई हुई खुशिया सब मिल जाती है
देखने वाली 'मिलाप' ये दहर होती है


मिलाप सिंह 

Tuesday 1 January 2013

यह सांसे युहीं चलती नहीं




यह सांसे युहीं चलती नहीं 
चलाने वाला जरुर है कहीं

उसका वजूद जरुर है सच
कहते भी है 'मिलाप' कई

अगर उसको झूठ कहते है
तजुरबे में होगी कहीं कमी

हमको तो वो ही दिखता है
चाहे देखें फलक या जमीन

शायद वो हो आस-पास ही
देखो तुम इधर-उधर अभी


मिलाप सिंह