milap singh

milap singh

Monday 7 January 2013

उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया





उसने पत्थर को पूजा खुदा पा लिया 
हमने इन्सान को पूजा धोखा मिला

दिल के आईने में मुड़ के जो देखा
अक्स उसमे 'मिलाप' अपना रोता मिला

मुफलिसी ने उसे घेर रखा था ऐसे
हर मोड़ पर बोझ बेचारा ढ़ोता मिला

अजीब अजनबी थी वो विरान जगह
मुक्कदर मेरा मुझे जहाँ सोता मिला

कुछ ऐसा आलम था तेरे शहर का
हर गली मोड़ पर खड़ा धोखा मिला


मिलाप सिंह

1 comment:

  1. बहुत खूब ... सभी शेर काबिले तारीफ़ हैं ...

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