milap singh

milap singh

Thursday 3 January 2013

आप आयें तो





आप आयें तो हवाओं में लहर होती है
घटा बरसती है धरती पे महर होती है

कितनी मौजों को मेरे संग कर देते है
फीकी तस्बीर में प्यारे रंग भर देते है
आपके बिन जिन्दगी अधूरी होती है

दुनिया में बस अँधेरा ही अँधेरा है
दीखता तो कुछ नही कहने को सबेरा है
आप आयें तो मेरी भी सहर होती है

फूल -पत्ते -कलिय़ां खिल जाती है
खोई हुई खुशिया सब मिल जाती है
देखने वाली 'मिलाप' ये दहर होती है


मिलाप सिंह 

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