milap singh

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Tuesday 1 January 2013

यह सांसे युहीं चलती नहीं




यह सांसे युहीं चलती नहीं 
चलाने वाला जरुर है कहीं

उसका वजूद जरुर है सच
कहते भी है 'मिलाप' कई

अगर उसको झूठ कहते है
तजुरबे में होगी कहीं कमी

हमको तो वो ही दिखता है
चाहे देखें फलक या जमीन

शायद वो हो आस-पास ही
देखो तुम इधर-उधर अभी


मिलाप सिंह


3 comments:

  1. नव वर्ष मंगलमय हो,.सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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  2. उसके होने का एहसास हर पल है.....
    अच्छे भाव...

    अनु

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