milap singh

milap singh

Wednesday 31 December 2014

Happy New year


सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम

  ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Happy New year shayari

आज पुराना वर्ष बीत गया है
नए साल का हुआ आगाज
एक जनवरी चोंच में लेकर
वक्त का पंछी भर रहा परवाज
समय के इस शुभ कृत्य पर
सभी दोस्तों को मुबारकबाद

Tuesday 30 December 2014

Happy New year shayari


आओ लें संकल्प अभी
जाता साल है - है अच्छी घडी

आ गए थे जो अवगुन जीवन में
वो त्याग देंगे सब के सभी

कुछ गलत न करेंगे नए साल में
हाथ लगाएंगे नशे को नहीं

हम झूठ बोलेंगे न नए साल में
चुनेंगे रास्ता जीवन का सही

अब मेहनत से पैसा कमाएंगे
और हेर फेर को जगह देगें नहीं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday 29 December 2014

New year shayari


नव अन्वेषण में लगे यह मन
और अंर्तमन तक हर्ष रहें

उत्कर्ष पर हो भ्रातृ भावना
और तन से सब स्वास्थ रहें

सब दोस्तों को बहुत बधाई
सब के लिए शुभ नव वर्ष रहे

Thursday 25 December 2014

Khoobsurat ho

बहुत खूबसूरत हो तुम
बताने की जरूरत नहीं है

हुस्न को ढक के ही रखो
दिखाने की जरूरत नहीं है

मार ही डालोगी क्या अब
इन जानलेवा अदाओं से

देख सताए हुओं को ओर
सताने की जरूरत नहीं है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 24 December 2014

मिट्टी का जिस्म

मिट्टी के इस जिस्म पे , क्यों करता खर्चा लाख में

मिल जाना तो  तय ही है , आखिर इसका खाक में

सर्दी का है मौसम , क्यों देता दुख तू खुद को वंदे

जी भर के नहा लेना बेशक ,  आने वाली बरसात में

          --------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday 23 December 2014

Bdi khoobsurat hai


बडी खूबसूरत है तू कसम से
समेटूं तुझे मैं कैसे लफ्ज में
माथे की बिंदिया आंखों का काजल
बडे खूबसूरत है तेरे यह झुमके

---- milap Singh bharmouri

Sunday 21 December 2014

Roi bhana se


आज जब आया मैं उसे छोडकर
वो रोई मगर इक बहाना ढूंढ कर

फिर भी आई कुछ दूर चलके वो
छोड आया मगर अगले मोड पर

जमाने की होती हैं मजबूरियाँ भी
नहीं जिया जाता है मुंह मोड कर

शायद मुझे वो संग समझती होगी
मगर दिखाऊ कैसे दिल खोलकर

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday 20 December 2014

समानता लादे


सर्दी के दिन है सर्दी की रातें
हो रही हैं कोहरीली बरसातें

जम चुकी है स्याही कलम की
लिखें कैसे अब दिल की बातें

बेघर फुटपाथ पे ठिठुर रहे हैं
खो रहे हैं वो अब अपनी जानें

पूंजीपति को फर्क क्या इससे
हो रही उसकी रंगीन नित रातें

सबके पास हो बुनियादी चीजें
कोई समाज में समानता ला दे

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday 19 December 2014

Nhaunga nhi

खुली किताब है जिंदगी अपनी
मैं कुछ भी छुपाउंगा नहीं

इस बर्फ जैसे पानी को
लेकिन हाथ लगाऊंगा नहीं

अगर आए किसी को बदबू
तो बेशक न बैठे मेरे पास

लेकिन इतनी सर्दी में मैं
अभी कुछ ओर दिन नहाऊंगा नहीं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday 18 December 2014

Intjaar

यह इंतजार के पल भी
बडे कठिन होते हैं

बस खोए से रहते हैं
न जागते हैं न सोते हैं

इस कद्र भी खूदा तू
उनहें मजबूरियां न देना

कि चाहने वाले अक्सर
बिछुड कर तन्हा रोते हैं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 17 December 2014

Aman ka sabak

या रव तेरे जहान में यह क्या हो रहा है
तेरे ही नाम पर शैतान जहर वो रहा है

गया था जो मासूम कल स्कूल के लिए
देखो न आज कब्र में गहरी नींद सो रहा है

मना रहे हैं जश्न वो अपनी उस हरकत का
दुनिया का जर्रा जर्रा जिस पर रो रहा है

रंगी पडी है खून से वो क्लास की दीवार
कहा था जिसमें अमन का सबक हो रहा है

       -------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sardi ab dikha rhi

Hindi shayari
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सर्दी अब दिखा रही कमाल
धुंध के कारण बुरा है हाल
सारा सारा दिन अब सूरज नहीं दिखता
भेज दिया है जैसे इसको पाताल

  ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday 15 December 2014

Sardi


सर्दी ने अब पकड बनाई
अगल बगल से जकड रजाई
धुंध में सूरज नहीं है दिखने वाला
घडी की घंटी से उठ जा भाई

----- मिलाप सिंह भरमौरी

तन्हा रहना ठीक नहीं


हर पल तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से भी कुछ मिला करो

क्यों मुरझाए मुरझाए रहते हो
कभी फूल बन कर भी खिला करो

गर तारीफ किसी की मुमकिन नहीं
तो अगल बगल में तुम गिला करो

पर ये तेरा तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से कुछ मिला करो

       ------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday 13 December 2014

Tnha se din


अब तन्हा से दिन हैं
तन्हा सी रातें

कहने को मगर हैं
बहुत सी बातें

कुछ अपनी कमी थी
कुछ तेरी भी होगी

जो पहुंच न पाई
अंजाम तक मुलाकातें

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday 12 December 2014

Shahar ki trha


    क्या शहर की तरह
हो जाएगें गांव भी

     रूखे रूखे से दिखेंगे
यहां भी सब आदमी

    मृगतृष्णा में फंस जाऐंगे
सब दौलत के लिए

    क्या उनको भी नहीं रहेगी
फुर्सत दो सांस की

Thursday 11 December 2014

Teri julfen

तेरी जुल्फों को देखें
के तेरे रुखसारों को

मात देती हो तुम
हर तरफ से बहारों को

खुशनसीब हैं हम
के हम तुम्हारे हैं

बदनसीब हैं वो
जो महरूम हैं नजारों से

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 10 December 2014

Nasihat


ओरों को अच्छाई की
क्या नसीहत दें

पहले खुद ही
इस पर अमल कर लें

जरूर बदल जाएगी
यह दुनिया फिर

पहले खुद को ही
अगर हम बदल लें

--- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday 9 December 2014

Madhur madhur

Hindi shayari
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मधुर मधुर सी याद तुम्हारी
इस तन्हा दिल को बहला जाती है

वो तेरी बातें वो तेरे नखरों से
यह जिंदगी तर तर हो जाती है

पलकों के झरोखों से उड कर के
मैं आ जाता हूँ पास तुम्हारे

फिर सूनी नहीं लगती ये चारदीवारी
जब याद तुम्हारी आ जाती है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 7 December 2014

Har ladki

हर लडकी में अपनी बहन को देखो
हर औरत में अपनी माता
मन अपना जब पवित्र होगा
फिर हर अर्ज सुनेगा विधाता

      ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday 6 December 2014

Chedkhani


मत कर लडकियों से छेडख़ानी
बडी मंहगी पडेगी तूझे ये नादानी।
जब बनेगा तू भी बाप एक लडकी का
तब पता चलेगा क्या होती है माँ बाप की परेशानी ।

    ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday 5 December 2014

Aapki yaad


आपकी याद हर घडी
आती है

आपकी सूरत
बहुत मुझको भाती है

हिम्मत कहाँ इसमें
कि सताए हमको किस्मत

बस ये जो बेरूखी है तेरी
थोडी सी मुझे सताती है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

देश के काम


देश के जो काम न आए
लानत है ऐसी जवानी को

कभी न भूल पाएगा देश
तेरी इस कुर्बानी को

अपनी जान की बाजी लगाकर
घाटी में अमन की रक्षा की है

तेरी बहादुरी कर देगी खत्म
देश से आतंक की कहानी को

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday 4 December 2014

Menhgi ghari

मंहगी घडी पहन लेने से
कोई समय का पाबंद नहीं हो जाता

सूरज को दिया दिखाने से
वो रौशन कम नहीं हो जाता

फक्र होता है हर इंसान को
यहाँ हिन्दोस्तानी कहलाने में

अब किसी ऐरे गैरे के कहने से
कश्मीर बंद नहीं हो जाता

     ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Vakat ka paband

घडी तो कोई भी
पहन लेता है हाथों में

समय का पाबंद मगर
कोई ही होता है लाखों में

दिल भी होना चाहिए
अंदर से मिसरी की तरह

सिर्फ मिठास ही नहीं
होनी चाहिए बाहरी बातों में

Wednesday 3 December 2014

Jamin par


जमीं पर ही खुश रहूंगा
अगर आकाश न मिले

वो दौलत किसलिए
अगर सुख की सांस न मिले

बस इतनी सी इल्तिजा है
मेरी तुमसे ऐ! खुदा

कि मेरी वजह से दुनिया में
कोई उदास न मिले

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday 2 December 2014

बुलबुला


न कर घमंड जवानी का
जिंदगी बुलबुला है पानी का
पता नहीं कब ये फूट जाए
कब आ जाए आलम विरानी का

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday 1 December 2014

Berukhui


हरपल मेरी आँखों में
आप ही तो रहते हैं

तेरे लिए ही बार बार
आईने के आगे संबरते हैं

तुम्हारे ही रहम से तो
होते हैं हम आबाद

और तेरी बेरूखी से
अब हम सनम उजडते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी