milap singh

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Thursday 27 December 2012

उफनते गम के सुमुंदर में






उफनते गम के सुमुंदर में उतर जाता हूँ
मै हंसते -हंसते कहीं पे सिसक जाता हूँ

खुशियों की माला बनाने की कोशिस में
टूटे धागे के मनको सा बिखर जाता हूँ

बज्म में अपने जज्बात छुपाने की खातिर
उछलते पैमाने की तरह मैं छलक जाता हूँ

हाल ये है हिज्र-ए-मोहबत में मेरा कि
दीद के बस एक पल को मैं तरस  जाता हूँ

दिल जलाती हुई अँधेरी रातों में 'अक्स'
गरीब के आंसूं की तरह मै बरस जाता हूँ

शव को देखता है कोई हसरत से मगर
सुबह नशे की तरह मै उतर जाता हूँ

दर्द, गम और  तन्हाई ही दिखे मुझको बस
उठा के कदम खुदा मै जिधर भी जाता हूँ


मिलाप सिंह

Tuesday 25 December 2012

खुद की बेबफाई





अजीब जिन्दगी है मेरी मुझसे क्या चाहती है
खुद की बेबफाई और मुझसे बफा चाहती है

लेती नही मशिवरा मेरा 'मिलाप' कभी भी
हर वक्त हर जगह खुद का कहा चाहती है

कभी दुःख के साथ में कभी सुख की आस में
ले जाती है कहीं भी मुझे ये जहाँ चाहती है

भर गये है जख्म मेरे शायद दिल के 'अक्स'
अब देना जख्म कोई ये मुझे नया चाहती है



मिलाप सिंह

Monday 24 December 2012

बरहम से खाव मेरे



बरहम से खाव मेरे


बरहम से खाव मेरे फिर से जुड़ने लगे
आकर के गम के झौंके वापिस मुड़ने लगे

पहाड़ों की हसीन बारिश रिमझिम फुहार -सी
शवनम के जैसे कतरे दिल पे गिरने लगे

गम का जिक्र करते पहुंचा मै कहाँ पे
बादल मस्त फलक से जमीन पर उतरने लगे

भंवरों को देख के कलियाँ निखार पाए
इस मस्त मौसम में फूल दिल में खिलने लगे

पहाड़ों की कोई रानी बर्क -सा लिए तव्सुम
ऐसा लगे जैसे 'अक्स' पे हंसने लगे


मिलाप सिंह

Wednesday 19 December 2012

ye ! jindgi mere khav





ऐ ! जिन्दगी मेरे खाब तू यूँ फना न कर
बेवक्त दगा न दे मुझे  तू गुनाह न कर

हर शय़ से आजतक मैने की है ईमानदारी
मै भी करूंगा बेबफाई तू गुमान न कर

लुत्फ़ उठाने दे जरा दुनिया की रंगीनियों का
कर न तकरार मुझसे खराब समां न कर

किससे की है तूने आजतक बफा बता
जज्बात दिल के मेरे फिर से जबां न कर

जरुर मिलेगी मंजिल 'अक्स ' जहाँ में कभी
उम्मीद बेशक धुंदली ही पर धुआं न कर


मिलाप सिंह  

Monday 17 December 2012

फिर भी तुमसे मोहबत है




फिर भी तुमसे मोहबत है 
तोड़ दे दिल मेरा इजाजत है

तुज्को मैने दिल से चाहा है
बस यही मेरी हकीकत है

बेबफा हो तुम तो भी क्या
मुझको को तो बफा की आदत है

महंगा पड़ जायेगा नजर मिलाना भी
कहने को तो फक्त शरार्त है 

काम आएगा अब मयखाना ही
जहाँ रोज 'मिलाप' कयामत है

संभल के चल इश्क की राह पे
इसमें सपनों सी नजाकत है


मिलाप सिंह 

dil ko mere

Friday 14 December 2012

jajbat rokte - rikte

                        जज्बात  रोकते  - रोकते 



एक मुद्दत  हुई  जज्बात  रोकते  - रोकते 
रह  न  जाये  कहीं  युहीं  सोचते  - सोचते 

मैं बुजदिल  नही  सब  कह सकता  हु  मगर 
रुक  जाती  है  जुबान मेरी  बोलते  - बोलते 

बोल  दे  जो  बोलना  है  वक्त  के  रहते  तू 
टूट जाये  न खाब  कही जोड़ते  -जोड़ते 

कोई  भी  काम  ' अक्स  ' इतना  आसन  नही 
जोर  तो लगता है  हवा  को मोड़ते  - मोड़ते

वक्त  तो  वेहरा  है  फिर  कहाँ सुनता  है 
गांठ  ही न पड़  जाये उलझन  खोलते  - खोलते



मिलाप सिंह 

Thursday 13 December 2012

आप आएँ तो


आप आएँ तो

आप आएँ तो हवाओं में लहर होती है
घटा बरसती है धरती पे महर होती है

कितनी मौजों को मेरे संग कर देते है
फीकी तस्वीर में प्य्रारे रंग भर देते है
आपके बिन तो जिन्दगी अधूरी लगती है

दुनिया में बस अँधेरा ही अँधेरा है
दिखता तो कुछ नही कहने को सबेरा है
आप आए तो मेरी भी सहर होती है

फूल- पत्ते ,कलियाँ सब खिल जाती है
खोई हुई खुशिया सब मिल जाती है
देखने वाली 'अक्स' ये सहर होती है


मिलाप सिंह 

Tuesday 11 December 2012

मुझसे खफा तू जनाब रहती है





 मुझसे खफा तू जनाब रहती है




किस लिए मुझसे खफा तू जनाब रहती है
मै नही कहता कुछ भी शराब कहती है

मै तो सरसार मुझे होश कहाँ होता है
तू भी क्यों मुझसे फिर हिजाब रखती है

आज ऐसा किया कल ऐसा किया था तूने
तू तो गलती गलती का हिसाब रखती है

कितने ही टूट गये होते नौजबान यहाँ 
एक शराब है जो टूटों को आबाद रखती है

मै तो मदहोश होता हूँ मुझे न रोका करो
तू तो मदहोशी में भी इताब करती है 


मिलाप सिंह 

Monday 10 December 2012

कितने खुदगर्ज ये



कितने खुदगर्ज ये


कितने खुदगर्ज ये दुनिया वाले है
फरेब का अक्स ये दुनिया वाले है

जगह मुक्कदस और जहन फरेबी
मतलबी प्यार ये दुनिया वाले है

किसी को तडफता देख हंसते है
कितने संगदिल ये दुनिया वाले है

मेरा मेरी और ये धन -दौलत बस
भ्रम में भटकते ये दुनिया वाले है

अपना रुतवा ,रोटी ,और जगह के लिए
खून के प्यासे ये दुनिया वाले है

सर झुका 'अक्स' खुदा के दर पे ही
खुद भिखारी ये दुनिया वाले है


milap singh

Friday 7 December 2012

dard dil ke mere



दर्द दिल के मेरे


दर्द दिल के मेरे जब से कम हो गये
दुनिया की भीड़ में फिर से गुम हो गये

पहले खुद को जर्रा समझता था मै
दिन क्या बदले फिर से हम हो गये

फिर से हुस्न पर निखार आने लगा
शबनमी होंठ फिर से नम हो गये

फिर से जिन्दगी की तरफ देखने लगे
मर मिटने के खाब बरहम हो गये

फिर से खोने लगा दिल रंगीनियों में
हर हसीन चेहरे अपने सनम हो गये


मिलाप सिंह

Thursday 6 December 2012

ham se na dhoka kro


 हमसे न धोका करो


यूँ हमसे न धोका करो
तुम इतना न सोचा करो

कदम तो बढते है मेरी तरफ
तुम जबरन न रोका करो

समा भी तो है मेरी जानिब
तुम बेकार न मौका करो

जुबान को कहने दो दिल की 'अक्स' 
तुम इसको न रोका करो


milap singh

Wednesday 5 December 2012

abhi abhi pi hai


अभी अभी पी है शराब


अभी अभी पी है शराब नशा उतरने दे
फिर करूंगा तुमसे बात नशा उतरने दे 

दिल आश्काना है और फिर ये मदहोशी 
फिर न कहना कुछ जनाब नशा उतरने दे

मुक्तसर आवेश है ये कोई मुसल्ल नही
बदल जायेंगे तेरे जज्बात नशा उतरने दे

गम के अंधेरों से तो निकल जाउं मै
फिर पकड़ना मेरा हाथ नशा उतरने दे 



milap singh

Tuesday 4 December 2012

aansuon ko rok kar


                  

                        आंसुओं को रोक कर 



क्या मिला है आपको आंसुओं को रोक कर
कर ली खराब जिन्दगी बेसबव सोच कर

कितने ही हो चुके बर्बाद सोच सोच में
अब भी कुछ वक्त है अब भी कुछ गौर कर

गये हुए वक्त को बार बार सोचना क्या
जीना हो जहाँ में तो जिओ दिल खोलकर 

मेरे लिए जो गलत है तेरे लिए वो ठीक है
गलत ठीक का न तू हर घड़ी मापतोल कर

ये दिल है शीसे का दरार तो रहेगी ही
कितने दिन जिओगे दिल के पुर्जे जोडकर

आपकी ही बात नही हमने भी धोखे खाए है
जिसे भी मेने दिल दीया चले गये तोडकर


milap singh

Sunday 2 December 2012

tanhaion ke pal


तनहाईय़ौं के पल


बन के इक आस नई दिल पे छा जाते है
भूले बिसरे लम्हे जब याद आ जाते है

मुझको होती है तुमसे मिलने की खवाइश 
जब तेरे प्यार के पल सपनों में आ जाते है

फिर से जीने की तमन्ना करता है दिल
जब तेरे हुस्न के जलबे झलक दिखा जाते है

फिर से मंजिल की तरफ बनता है रुख 
फिर कई मकसद जहन में मेरे आ जाते है

प्यार जिन्दगी में बड़ा जरूरी है 'मिलाप'
वरन तनहाईय़ौं के पल जिन्दगी खा जाते है 



milap singh

Friday 30 November 2012

tere honton pe




तेरे होंठो पे



तेरे होंठो पे सनम नही क्यों है 
में बेबफा हूँ तुजे यकीन क्यों है 

तेरे लिए में कितनी दूर आया हूँ
तू उसी मोड़ पर अभी खड़ी क्यों है

मैं न छोडूंगा तन्हा तुझे कभी भी 
इजहारे मोहबत से तू डरी क्यों है

किस ख्याल ने तुझे उलझाया है 
तेरी आँखों में ये नमी क्यों है

दिन बदलते ही लोग बदल जाते है 
मेरा दिल जहाँ कल था वहीं क्यों है 

मैं बेबफा नही रुस्बा न होने दूंगा 
फेर के रुख मुझसे तू चली क्यों है

माना तेरे होंठो पे इंकार ही है
फिर भी दिल में कसक सी दबी क्यों है

milap singh


Thursday 29 November 2012

shrab ki botal



शराब की बोतल


कितनी प्यारी है ये शराब की बोतल 
डोल जाते है इसे देख के कितने मन 

जब कहीं इसको इक बार खोल देते है
फिर वहां से जाने को नही करता मन

ये मेरे गम -ख़ुशी में शरीक होती है
अजीब सा बन गया है इससे अपनापन 

जाम के बाद जाम जब में उठाता हूँ
साथ -ही -साथ में  घटते है मेरे गम

साथ देती है मेरा यह दर्द मिटने में 
जी में आता है रखूं पास इसे हरदम



MILAP SINGH

Tuesday 27 November 2012

jab mere pehlu se



जब मेरे पहलु से होकर के तू आती-जाती है 
मेरे जहन में कोई  ग़ज़ल झिलमिलाती है 

फूल खुशबु को उड़ा के समां रंगीन करते है
और हवा आँचल को उड़ा के अदा दिखाती है 

सुर्ख होंठो का तवसुम तेरे तोबा-तोबा 
महक जीस्म की तेरी जिगर को गुदगुदाती है

पहले ही इश्क में फिरता हूँ में घायल-घायल 
और क्या कहूँ जब तू अदा से मुस्कुराती है

मेरी धड़कन भी चलती है कुश ज्यादा-ज्यादा
तेरी पायल भी कुछ ज्यादा खनखनाती है


MILAP SINGH

Monday 26 November 2012

APNI MANJIL KI TARAF


अपनी मंजिल की तरफ 



अपनी मंजिल की तरफ रुख करें 
साँस तो है अभी और कुश चलें 

मिल जाएगी जरूर मक्सुदे मंजिल
इरादा कर के अगर तरफ बढें

सारी दुनिया में जो रोशन रहे
आओ दुनिया में काम ऐसा कुछ करे

प्यार में इतना तो लाजमी है मिलाप 
दर्द सहते रहे हम  और चुप रहें

आने वाला कल ही तो नई आस है
बीते कल का क्यों हम दुःख करें



MILAP SINGH

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MILAP SINGH

Sunday 25 November 2012

Kus pal ke liye

रास्ता -
िबलकुल सूना था
चंद मुसािफर आए
कुछ पल के िलए
चंचलता की लहरे दौड पडी
िदलकशी छा गई
मुसािफर चले गए
रास्ता-
िफर सूना रह गया

रात-
िबलकुल सूनी थी
अँधेरी थी
भोर हुई सूरज िनकला
कुछ पल के िलए
हरसूँ रौशनी छा गई
चंचलता छा गई
सूरज चला गया
रात-
िफर सूनी रह गई

िजंदगी-
िबलकुल सूनी थी
कुछ मेहमान आए
स्वप्न बन कर
कुछ पल के िलए
ऐसा लगा, िजंदगी सँवर गई
स्वप्न टूटा
िजंदगी-
िफर सूनी रह गई

Friday 23 November 2012

sochte sochte

सोचते सोचते यूँही दिन गुजर जायेगा 
दिन गुजर गया तो नहीं फिर आएगा 



Tuesday 20 November 2012

संयुक्त िवशाल भारत Sanyukt Vishal Bharat

कैसा वो दौर था
कैसी थी हवाएँ
जब अपने प्यारे भारत को
लग रहीं थी बद्दुआएँ

जब घ्रीणा की दुर्गंध
हर ओर से थी आती
जब बन गया था वैरी
अपना धर्म- समप्रदाय और जाित

न जाने कैसी वो शतरंज थी
और कैसा था वो पासा
िजसने हर िकसी के मन में
भर दी थी िनराशा

कैसा वो दौर था
कैसी थी बहारें
जब दाडी-मूछ के भेद पर
बरस रही थी तलवारें

काश! के कोई न करता
उन सरहदों से शरार्त
काश! के अब भी होता
वो अपना संयुक्त िवशाल भारत

Sunday 18 November 2012

Khas Lamha खास लम्हा

दर्द इक एहसास ही तो है
राहत की आस ही तो है

हम नहीं इससे मुतािसर
हमको यह रास ही तो है

िजगर में होती है हलचल
यह इक प्यास ही तो है

ये है गर्मी का इक सबब
ये भी इक सांस ही तो है

याद आता है खूदा सबको
लम्हा यह खास ही तो है

Tumhare kabil तुम्हारे कािबल

मत कूदो उस समुंदर में
िजसका कोई सािहल न हो
आज हम तुम्हारे कािबल नहीं
शायद कल तुम हमारे कािबल न हो

        िमलाप िसंह ''अक्स''

MAT KUDO US SUMUNDER ME
JISKA KOI SAHIL NA HO
AAJ HAM TUMHARE KABIL NHI
SHAYAD KAL TUM HAMARE KABIL NA HO

milap singh

Friday 16 November 2012

Tere nam ki तेरे नाम की

तेरे नाम की हर शय से
मैंने िरश्ता तोड िलया
याद न आए तू मुझको
तेरे शहर को छोड िदया

संग के िदल में जब जरा भी
उल्लफत न जागी
पत्थर के पहाडो से टकरा के
हवा ने रुख मोड िलया

यह न सोचो ' िमलाप ' तुम्हारी
शामोसहर कहाँ गुजरेगी
शहर के इक सज्जन ने
मयखाना नया खोल िलया

िजंदगी की राह पे चलते
तूने नहीं कोई लापरवाही की
गम ओर इश्क भला िकसने
इस दुिनया में मोल िलया