milap singh

milap singh

Tuesday 4 December 2012

aansuon ko rok kar


                  

                        आंसुओं को रोक कर 



क्या मिला है आपको आंसुओं को रोक कर
कर ली खराब जिन्दगी बेसबव सोच कर

कितने ही हो चुके बर्बाद सोच सोच में
अब भी कुछ वक्त है अब भी कुछ गौर कर

गये हुए वक्त को बार बार सोचना क्या
जीना हो जहाँ में तो जिओ दिल खोलकर 

मेरे लिए जो गलत है तेरे लिए वो ठीक है
गलत ठीक का न तू हर घड़ी मापतोल कर

ये दिल है शीसे का दरार तो रहेगी ही
कितने दिन जिओगे दिल के पुर्जे जोडकर

आपकी ही बात नही हमने भी धोखे खाए है
जिसे भी मेने दिल दीया चले गये तोडकर


milap singh

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