milap singh

milap singh

Monday 8 April 2013

मिटती क्यों नही गरीबी


अगर नामुमकिन नही है कुछ भी
इस जहान में 
तो मिटती क्यों नही गरीबी मेरे
हिंदुस्तान से 

इन झुगियों से जैसे कोई वास्ता नही है
इस चश्मे - पुरआव की कोई दास्ताँ नही है
बस निकल लेते है काफिले इधर से 
अनजान से 

नेमते -खुल्द -में वो जिए जा रहे है
सियासतों पे सियासत किए जा रहे है
देखें तो इक झलक इधर भी वो
सब्र - -ताव से 




....milap singh bharmouri


चश्मेपुरआव -- आंसुओं से भरी आँख , नेमते –खुल्द -- स्वर्ग जैसा सुख , सब्र - –ताव -- सहास से




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