milap singh

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Sunday 7 June 2015

बिन कटारी से

बिन कटारी  से भी किस्से  खत्म होते हैं ।
भर न  पाएं कभी जो  ऐसे जख्म  होते है ।
मत ढूँढो तुम हथियार मेरी चोट का यारो।
दुनिया में कुछ नजरों से भी कत्ल होते हैं ।

              ------- मिलाप सिंह भरमौरी

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