milap singh

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Tuesday 17 October 2017

चरित्र

हम कितने खुदगर्ज होते जा रहे हैं।
अपने सिबाय सब झूठे नजर आ रहे हैं।
निरंतर गिरता जा रहा है जिसमें चरित्र।
यह कैसी रेतीली सी दुनिया बना रहे हैं।

.... मिलाप सिंह भरमौरी

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