milap singh

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Wednesday 17 July 2013

वो इस तरह बिछड़ा

वो इस तरह बिछड़ा के मुझे खाली कर गया
मेरी अरमानों भरी दुनिया को पानी  कर गया

वक्त कितना बेरहम निकला के पलक झपकते ही
मेरी जिन्दगी की हकीकत को कहानी कर गया

एक लफ्ज वक्त-ए- रुखसत खुदा तुझपे भरोसा नही
सवाब उम्रभर के मेरे को बेमानी कर गया

तमाम  उम्र में कुछ न कुछ खोता ही रहा
मेरा मुक्कदर मुझ गरीब को दानी कर गया

यह अंजाम हुआ मेरी बफा का इक मजबूरी से
के मेरा मेह्बूव मुझे बेबफा के सानी कर गया

.........मिलाप सिंह भरमौरी 

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