milap singh

milap singh

Thursday 18 July 2013

हसरतें मर गई

हसरतें मर गई जिन्दगी रह गई
मन्दिरों में भटकती वन्दगी रह गई

हुस्न की जमाने में कद्र न हुई
फैशनपरस्ती में दवी सादगी  रह गई

किस तरह हुआ गजल से प्यार
बात दिल में 'मिलाप' राज की रह गई

गोशे -गोशे से जमाने ने लुटा मुझे 
नतीजा हिस्से में मेरे शायरी रह गई


........मिलाप सिंह भरमौरी 

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