milap singh

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Thursday 9 August 2018

याद

नदी किनारे शाम को

जब दिन ढ़लता है।

सूरज धीरे- धीरे

पानी के बीच उतरता है।

ताजा हो जाती हैं फिर

भीगी सी यादें।

एक तूफान सा जैसे

आँखों के बीच उमड़ता है।

........ मिलाप सिंह भरमौरी


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