milap singh

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Thursday 9 August 2018

नजरें

बच के निकलता हूँ

तेरी गली से

कि फिर तुमसे 

सामना न हो जाए।

बड़ी मुश्किल से

समेटे हैं दिल के टुकड़े

कि फिर वही 

मामला न हो जाए।

बहुत डरता हूँ तेरी

झुकी सी पलकों से

असर बहुत है

तेरी शोख़ नजरों में।

जानलेवा है बहुत

यह बेरुखी तेरी

दर्द सीने में वो फिर

वेवजह न हो जाए।

....... मिलाप सिंह भरमौरी

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