यह केबल एक वाक्य नहीं
यह तजरुबा है पीढ़ियों से
विश्वास है अनंत से।
मद में चूर बलशाली
बन जाता है अभिमानी
सब होता जब पास
हो जाता है अज्ञानी ।
कुछ समय के लिए
सब लगते हैं अपने
गलत सही में साथ देने वाले
समय भी लगता है अपना
तुच्छ लगते हैं
पांव में छाले वाले।
पर समय तो समय है
क्या समय किसी का हुआ है
समय तो चलता है
निष्कपट भाव से
अपनी ही चाल से ।
समय नहीं बदलता
बस मंजर बदलते हैं
कर्म बदलते हैं ।
पर दशा बदलता है, अज्ञात न्याय
जिसे कहते हैं
देर है अंधेर नहीं।
इसलिए दुष्ट की मक्कारी में
मुफ्त में न ले भागीदारी
बलशाली के अन्याय पर
न कर वाहवाही ।
सिर्फ मसले को देख, समझ
और कह, सब ऊपर वाला जानता है ।
और कर इंतजार
एक समय आएगा
जब मसले का हल आयेगा
उस दिन दिल से निकलेगा
वाह!
भगवान के घर में
देर है अंधेर नहीं।
....... मिलाप सिंह भरमौरी