milap singh

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Sunday, 2 November 2025

ansu

लगते हैं अभिनय जैसे 
आंसू को पहचाने कैसे।

मौका देख उतर आते हैं 
पता नहीं कहां से कैसे ।

फर्क ढूंढते फिरते हैं कुछ 
मेरे नहीं है तेरे जैसे ।

स्वार्थ से न बांध इन्हें 
रहने दे इन्हें जैसे के तैसे।

.........मिलाप सिंह भरमौरी





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