milap singh

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Saturday 30 March 2013

या मै अनपढ़ हूँ


या मै  अनपढ़ हूँ 
इसलिए मुझे बात समझ नही आती 
या वो बडबोला है 
बस वह बोलने का ही है  आदि

वो कहता है यहाँ पर 
हर आदमी समान है
मै कहता हूँ के वह 
इस दुनिया से ही अनजान है

या वो अनजान है
या अनजानेपन का ढोंग करता है
या मानसिकता कलुषित है
या उसके मन में
कोई रोग पलता है

क्या वो अँधा है 
रोज उसे अपने महल से निकलते
रास्ते में मेरी झुग्गी दिखाई नही देती
क्या वो बहरा है 
उसे मेरे भूखे बच्चे की
रोने की आवाज सुनाई नही देती 

वो अक्क्सर कहता है
कभी अखवारों में 
कभी टी. वी. पे 
कभी भूखों की भीड़ में
इन्ही बाजारों में
कि यहाँ पर सब इन्सान बराबर है



मिलाप सिंह भरमौरी 

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