milap singh

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Tuesday 23 October 2018

कमी

बस कमी सी तेरी खलती है।

पर शामें अब भी ढलती हैं।

तुम होते तो शायद ओर अच्छा होता

खैर!  दुनिया तो अब भी चलती है।


....... मिलाप सिंह भरमौरी

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