milap singh

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Tuesday 8 July 2014

Rat bhar badal

Hindi shayari

रात  भर  बादल  गरजते  बरसते  रहे
हम  तन्हा  दिवारों  में  तरसते  रहे

कोई  लेकर  न  आया  शबनम  की  बूंदें
हम  प्यासे  के  प्यासे  तडफते  रहे

और  करते  भी  क्या  लाचारी  में  हम
बस  बर्बादी  पे  अपनी  हम  हंसते  रहे

          -------- मिलाप सिंह भरमौरी

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