milap singh

milap singh

Thursday 15 January 2015

Anbhujhi

तू एक अनबुझी सी प्यास है
जो हरपल मेरे साथ रहती है

तू इक अधूरी सी तालाश है
जिसके लिए रूह तडफती है

काश! तू मिल जाए बुझ जाए प्यास
खत्म हो जाए मेरी तालाश

पर तू बेदर्द , बेरहम अलगर्ज सी
कब मेरे दिल की समझती है

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

No comments:

Post a Comment