milap singh

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Sunday 4 January 2015

Sittam tere


जायज हैं सब सितम तेरे
अब चाहे जान भी ले ले

उफ न करूंगा जरा भी मैं
कि की है मौहब्बत तुझसे मैंने

उस प्यार में मजा ही क्या
कि हिज्र का पता न चले

जन्नत का एहसास होता है
गर मुद्दत के बाद महबूब मिले

------- मिलाप सिंह भरमौरी

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