milap singh

milap singh

Tuesday 10 February 2015

इक चाह होती है

सफलता ओर कुछ नहीं है
यह बस इक चाह होती है

चलना होता है उस पर अविराम
सामने जो राह होती है

कदमों को चूमता है फिर
दिल्ली का नूरानी तख्त भी

और गली गली में हरसूं
उस चाहत की वाह ! वाह होती है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

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