milap singh

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Friday 19 September 2014

नशा तुम्हारा


सुनने वाला अचानक ही
इक झटका सा खा जाता है

जब चली हुई किसी बात में
जिक्र तुम्हारा आ जाता है

वैसे भी कब बस चलता है
जब मन से दिल हट करता है

फिर चढते चढते नशा तुम्हारा
जिस्मो जां तक छा जाता है

---- मिलाप सिंह भरमौरी

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