milap singh

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Tuesday 30 September 2014

तेरी आँखों में


तेरी आँखों में न जाने
कितनी गहराई है
कि इनमें मैं डूबता ही चला जाता हूँ

तेरे चेहरे पर नूर है लाखों तारों का
देखते देखते न जाने
क्या क्या मैं इनमें देख जाता हूँ

झूम जाता हूँ मैं तेरी चाल की लहरों से
फिर दिल कहीं जीगर कहीं
मैं अपना फैंक आता हूँ

------ मिलाप सिंह भरमौरी

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