milap singh

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Wednesday 10 September 2014

रुह


वो रूह ही काफिर होगी
गर अब भी न समझ पाए नियत

वरना ऐसी जांनिसारी से तो
पत्थर भी पिघल जाता है

कैसे व्यान करूं मैं तारीफ
अपने जांबाज जवानों की

जिनकी ललकार के आगे
कुदरत का भी सिर झुक जाता है

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

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