milap singh

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Friday 29 August 2014

मोहावत है खुश्बू की तरह


मोहावत को जताने के लिए
कब लफ्जों की जरूरत रहती है

यह तो है खुश्बू की तरह
इसे नजरें भी अच्छे से कहती हैं

इसकी जद में आ कर के सब
खोए खोए से मस्ती में रहते हैं

इसमें उलझे हुए को फिर कब
दुनिया की खैर खबर कुछ रहती है

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

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