milap singh

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Thursday 7 August 2014

Mumkin nhai hai

मुमकिन नहीं है
अब तुम्हें भूल जाना
भूलाने के लिए
खुद को भूल जाना पडेगा
कयामत के आगे
गिला क्या करें
इश्क के लिए
सिर को कटाना पडेगा
खोकर के खुद का
खाक में सब कुछ
वादा बफा का
हमको निभाना पडेगा

---- मिलाप सिंह भरमौरी

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