milap singh

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Thursday 30 October 2014

Jiya jaye


संभल संभल कर भी
कितना जहाँ में जिया जाए

चलो उस पे भी
कुछ भरोसा अब किया जाए

बहुत रह लिए बनकर
बनावटी से हम

अब असलियत का भी
कुछ मजा लिया जाए

------- मिलाप सिंह भरमौरी

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