milap singh

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Sunday 23 November 2014

Adab


कुछ अदब से रहो
और रखो अकल ठिकाने पे

यह खूबसूरती नहीं बढ जाती
जिस्म को दिखाने से

अगर बुरी लगे बात मेरी
और गले से उतरे नहीं

तो कह देना अपने साथी से
ये शक्स हैं जमाने पुराने के

---- मिलाप सिंह भरमौरी

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