milap singh

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Saturday 1 November 2014

अब तेरे सिवा


अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं

नींद आती नहीं अब रात भर मुझे
दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं

सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है
तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है
दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

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