milap singh

milap singh

Wednesday, 31 December 2014

Happy New year


सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम

  ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Happy New year shayari

आज पुराना वर्ष बीत गया है
नए साल का हुआ आगाज
एक जनवरी चोंच में लेकर
वक्त का पंछी भर रहा परवाज
समय के इस शुभ कृत्य पर
सभी दोस्तों को मुबारकबाद

Tuesday, 30 December 2014

Happy New year shayari


आओ लें संकल्प अभी
जाता साल है - है अच्छी घडी

आ गए थे जो अवगुन जीवन में
वो त्याग देंगे सब के सभी

कुछ गलत न करेंगे नए साल में
हाथ लगाएंगे नशे को नहीं

हम झूठ बोलेंगे न नए साल में
चुनेंगे रास्ता जीवन का सही

अब मेहनत से पैसा कमाएंगे
और हेर फेर को जगह देगें नहीं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 29 December 2014

New year shayari


नव अन्वेषण में लगे यह मन
और अंर्तमन तक हर्ष रहें

उत्कर्ष पर हो भ्रातृ भावना
और तन से सब स्वास्थ रहें

सब दोस्तों को बहुत बधाई
सब के लिए शुभ नव वर्ष रहे

Thursday, 25 December 2014

Khoobsurat ho

बहुत खूबसूरत हो तुम
बताने की जरूरत नहीं है

हुस्न को ढक के ही रखो
दिखाने की जरूरत नहीं है

मार ही डालोगी क्या अब
इन जानलेवा अदाओं से

देख सताए हुओं को ओर
सताने की जरूरत नहीं है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 24 December 2014

मिट्टी का जिस्म

मिट्टी के इस जिस्म पे , क्यों करता खर्चा लाख में

मिल जाना तो  तय ही है , आखिर इसका खाक में

सर्दी का है मौसम , क्यों देता दुख तू खुद को वंदे

जी भर के नहा लेना बेशक ,  आने वाली बरसात में

          --------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 23 December 2014

Bdi khoobsurat hai


बडी खूबसूरत है तू कसम से
समेटूं तुझे मैं कैसे लफ्ज में
माथे की बिंदिया आंखों का काजल
बडे खूबसूरत है तेरे यह झुमके

---- milap Singh bharmouri

Sunday, 21 December 2014

Roi bhana se


आज जब आया मैं उसे छोडकर
वो रोई मगर इक बहाना ढूंढ कर

फिर भी आई कुछ दूर चलके वो
छोड आया मगर अगले मोड पर

जमाने की होती हैं मजबूरियाँ भी
नहीं जिया जाता है मुंह मोड कर

शायद मुझे वो संग समझती होगी
मगर दिखाऊ कैसे दिल खोलकर

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 20 December 2014

समानता लादे


सर्दी के दिन है सर्दी की रातें
हो रही हैं कोहरीली बरसातें

जम चुकी है स्याही कलम की
लिखें कैसे अब दिल की बातें

बेघर फुटपाथ पे ठिठुर रहे हैं
खो रहे हैं वो अब अपनी जानें

पूंजीपति को फर्क क्या इससे
हो रही उसकी रंगीन नित रातें

सबके पास हो बुनियादी चीजें
कोई समाज में समानता ला दे

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 19 December 2014

Nhaunga nhi

खुली किताब है जिंदगी अपनी
मैं कुछ भी छुपाउंगा नहीं

इस बर्फ जैसे पानी को
लेकिन हाथ लगाऊंगा नहीं

अगर आए किसी को बदबू
तो बेशक न बैठे मेरे पास

लेकिन इतनी सर्दी में मैं
अभी कुछ ओर दिन नहाऊंगा नहीं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 18 December 2014

Intjaar

यह इंतजार के पल भी
बडे कठिन होते हैं

बस खोए से रहते हैं
न जागते हैं न सोते हैं

इस कद्र भी खूदा तू
उनहें मजबूरियां न देना

कि चाहने वाले अक्सर
बिछुड कर तन्हा रोते हैं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 17 December 2014

Aman ka sabak

या रव तेरे जहान में यह क्या हो रहा है
तेरे ही नाम पर शैतान जहर वो रहा है

गया था जो मासूम कल स्कूल के लिए
देखो न आज कब्र में गहरी नींद सो रहा है

मना रहे हैं जश्न वो अपनी उस हरकत का
दुनिया का जर्रा जर्रा जिस पर रो रहा है

रंगी पडी है खून से वो क्लास की दीवार
कहा था जिसमें अमन का सबक हो रहा है

       -------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sardi ab dikha rhi

Hindi shayari
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सर्दी अब दिखा रही कमाल
धुंध के कारण बुरा है हाल
सारा सारा दिन अब सूरज नहीं दिखता
भेज दिया है जैसे इसको पाताल

  ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 15 December 2014

Sardi


सर्दी ने अब पकड बनाई
अगल बगल से जकड रजाई
धुंध में सूरज नहीं है दिखने वाला
घडी की घंटी से उठ जा भाई

----- मिलाप सिंह भरमौरी

तन्हा रहना ठीक नहीं


हर पल तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से भी कुछ मिला करो

क्यों मुरझाए मुरझाए रहते हो
कभी फूल बन कर भी खिला करो

गर तारीफ किसी की मुमकिन नहीं
तो अगल बगल में तुम गिला करो

पर ये तेरा तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से कुछ मिला करो

       ------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 13 December 2014

Tnha se din


अब तन्हा से दिन हैं
तन्हा सी रातें

कहने को मगर हैं
बहुत सी बातें

कुछ अपनी कमी थी
कुछ तेरी भी होगी

जो पहुंच न पाई
अंजाम तक मुलाकातें

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 12 December 2014

Shahar ki trha


    क्या शहर की तरह
हो जाएगें गांव भी

     रूखे रूखे से दिखेंगे
यहां भी सब आदमी

    मृगतृष्णा में फंस जाऐंगे
सब दौलत के लिए

    क्या उनको भी नहीं रहेगी
फुर्सत दो सांस की

Thursday, 11 December 2014

Teri julfen

तेरी जुल्फों को देखें
के तेरे रुखसारों को

मात देती हो तुम
हर तरफ से बहारों को

खुशनसीब हैं हम
के हम तुम्हारे हैं

बदनसीब हैं वो
जो महरूम हैं नजारों से

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 10 December 2014

Nasihat


ओरों को अच्छाई की
क्या नसीहत दें

पहले खुद ही
इस पर अमल कर लें

जरूर बदल जाएगी
यह दुनिया फिर

पहले खुद को ही
अगर हम बदल लें

--- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 9 December 2014

Madhur madhur

Hindi shayari
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मधुर मधुर सी याद तुम्हारी
इस तन्हा दिल को बहला जाती है

वो तेरी बातें वो तेरे नखरों से
यह जिंदगी तर तर हो जाती है

पलकों के झरोखों से उड कर के
मैं आ जाता हूँ पास तुम्हारे

फिर सूनी नहीं लगती ये चारदीवारी
जब याद तुम्हारी आ जाती है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 7 December 2014

Har ladki

हर लडकी में अपनी बहन को देखो
हर औरत में अपनी माता
मन अपना जब पवित्र होगा
फिर हर अर्ज सुनेगा विधाता

      ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 6 December 2014

Chedkhani


मत कर लडकियों से छेडख़ानी
बडी मंहगी पडेगी तूझे ये नादानी।
जब बनेगा तू भी बाप एक लडकी का
तब पता चलेगा क्या होती है माँ बाप की परेशानी ।

    ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 5 December 2014

Aapki yaad


आपकी याद हर घडी
आती है

आपकी सूरत
बहुत मुझको भाती है

हिम्मत कहाँ इसमें
कि सताए हमको किस्मत

बस ये जो बेरूखी है तेरी
थोडी सी मुझे सताती है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

देश के काम


देश के जो काम न आए
लानत है ऐसी जवानी को

कभी न भूल पाएगा देश
तेरी इस कुर्बानी को

अपनी जान की बाजी लगाकर
घाटी में अमन की रक्षा की है

तेरी बहादुरी कर देगी खत्म
देश से आतंक की कहानी को

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 4 December 2014

Menhgi ghari

मंहगी घडी पहन लेने से
कोई समय का पाबंद नहीं हो जाता

सूरज को दिया दिखाने से
वो रौशन कम नहीं हो जाता

फक्र होता है हर इंसान को
यहाँ हिन्दोस्तानी कहलाने में

अब किसी ऐरे गैरे के कहने से
कश्मीर बंद नहीं हो जाता

     ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Vakat ka paband

घडी तो कोई भी
पहन लेता है हाथों में

समय का पाबंद मगर
कोई ही होता है लाखों में

दिल भी होना चाहिए
अंदर से मिसरी की तरह

सिर्फ मिठास ही नहीं
होनी चाहिए बाहरी बातों में

Wednesday, 3 December 2014

Jamin par


जमीं पर ही खुश रहूंगा
अगर आकाश न मिले

वो दौलत किसलिए
अगर सुख की सांस न मिले

बस इतनी सी इल्तिजा है
मेरी तुमसे ऐ! खुदा

कि मेरी वजह से दुनिया में
कोई उदास न मिले

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 2 December 2014

बुलबुला


न कर घमंड जवानी का
जिंदगी बुलबुला है पानी का
पता नहीं कब ये फूट जाए
कब आ जाए आलम विरानी का

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 1 December 2014

Berukhui


हरपल मेरी आँखों में
आप ही तो रहते हैं

तेरे लिए ही बार बार
आईने के आगे संबरते हैं

तुम्हारे ही रहम से तो
होते हैं हम आबाद

और तेरी बेरूखी से
अब हम सनम उजडते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 28 November 2014

Jindgi ji hai


हमने जो जिंदगी जी है
वो भी क्या जिंदगी जी है

कभी छोड दी तोवा कर के
कभी जम कर हमने पी है

फिर भी कोई गम नहीं हमको
इस वादा खिलाफी का

क्योंकि जो भी हरकत की है
तेरी याद में सब की है

---- मिलाप सिंह भरमौरी

गुलशन माली


कब बनता है गुलशन माली का
ले जाता है फूल कोई ओर डाली का
इसलिए जो भी है सब अच्छा है
तू भूल जा खाव अब हरियाली का

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 27 November 2014

Darbaaje pe tala


दरवाजे पर है ताला
ताले में है चावी

प्यार भरे शब्दों से
बोल तुझे क्या खराबी

दरवाजे के दो पाट
पाट के बीच है कुंडा

भाग यहां से कुत्ते
वरना पड जाएगा दंडा

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 26 November 2014

हाल दिल का

हाल अपने दिल का
मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ

जो सोचता रहता हूँ हरपल
होंठो तक ला नहीं पाता हूँ

बेशक बहुत मोहब्बत है
तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में

पर पता नहीं क्यों तुमको
फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 25 November 2014

Kab tak


कब तलक आखिर
यूंही लडखडाया जाए

क्यों न इक कदम
तेरी ओर बढाया जाए

बहुत सुनते आए हैं
इक नाम मुकद्दर का

क्यों न आज इसे भी
आजमाया जाए

-- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 24 November 2014

Bisaat


सब उसकी बिछाई बिसात है
कोई समझता है सब उसके हाथ है

हर हरकत पे है पूरी उसकी कमान
उसकी मर्जी से बनती हर बात है

मालिक है वो इस सारे जहाँ का
हर इंसान जर्रा उसका दास है

पल का नहीं है पर कोई भरोसा
बेशक चल रही अभी पूरी सांस है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 23 November 2014

Adab


कुछ अदब से रहो
और रखो अकल ठिकाने पे

यह खूबसूरती नहीं बढ जाती
जिस्म को दिखाने से

अगर बुरी लगे बात मेरी
और गले से उतरे नहीं

तो कह देना अपने साथी से
ये शक्स हैं जमाने पुराने के

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 22 November 2014

Namkeen


कुछ मीठी
कुछ नमकीन लगती है

तू साथ हो तो
जिंदगी हसीन लगती है

तुझको देखूँ तो
उडान भरती हैं उम्मीदें

और तू औझल हो तो
पंखविहीन लगती है

--- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 21 November 2014

फिक्र रहता है

Hindi shayari
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हर पल मन में इक फिक्र रहता है
और जुवां पर उसका जिक्र रहता है
जब हो जाता है  प्यार किसी को
कुछ इस तरह का उसका हश्र रहता है

---------- मिलाप सिंह

Jindgi


बहुत ही साधारण है
इस जिंदगी का दर्शन

आग की आंच पर
जैसे दूध का बर्तन

संभाल के उवालो तो
ओर स्वाद बढाए

थोडी सी अलगर्जी हुई
सब जमीन को अर्पण

---मिलाप सिंह

Thursday, 20 November 2014

Dharm


इक चमत्कार की चाह ने
कितनों की दुकानें चलाईं

खूब चढाया चंदा
चाहे कितनी भी हो मंहगाई

फिर खूब नतीजे देखे
और खूब सुर्खियां आई

मान के खुद को मालिक
जब उन्होंने रास रचाई

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 19 November 2014

Guru


गुरु ग्रंथ है गुरु है गीता
गुरु है वेद पुराण

इनके अलावा जो भी है
वो है साधू वक्ता या विद्वान

भूल कर रहा बहुत बडी तू
अगर मान रहा इनको भगवान

भगवान का दर्जा प्राप्त कर ले
इतना काबिल नहीं है कोई इंसान

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 18 November 2014

खुदगर्ज से मोहब्बत


खुदगरजों से मोहब्बत कैसी
खुदगर्ज तो अपनी ही सोचेंगे

अगर इससे हो मुनाफा इनका
तो तुझे मरने से भी क्यों रोकेंगे

सुन तेरी मोहब्बत का उन्हें
जरा भी एहसास नहीं होगा

वो तो सिर्फ मूर्ख कहेंगे तुमको
और खिलखिला कर ताली ठोकेंगे

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 17 November 2014

प्यार की चिंगारी

मौहब्बत जब हो जाती है तो
उसके सारे अवगुण छुप जाते हैं

चाहे हो वो कोई घोर दरिंदा
उसमें भी फिर रव को पाते हैं

मर मिटने को हो जाते हैं आमअदा
बस उसके एक इशारे पर

छिटक के खुद पर इश्क का तेल
प्यार की चिंगारी से जल जाते हैं

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 15 November 2014

Aapne kya keh diya


आपने यह क्या कह दिया
खुशियों का कारवां मिल गया

दिल सकून से भरने लगा
दर्द आंखों से बह गया

दुनिया का क्या है मिलाप
जो भी कहती गई सह लिया

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 14 November 2014

Aadat si

आदत सी हो जाती है
फिर उसके बारे में सोचने की

हिम्मत किसमें रहती है
मोहब्बत के तुफां को रोकने की

अपने अच्छे बुरे के बारे में
कुछ पता ही नहीं चलता

अच्छी बातें करने वाले को भी
फिर उपाधि दे देते हैं भौंकने की

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 13 November 2014

Tera saath

तेरा साथ मुझे
सच में बहुत भाता है

जीने का मानो
जैसे मजा ही आ जाता है

पर तुमसे बिछुडने का
ख्याल मुझे डराता है

जैसे पेट से निकलकर कलेजा
मुंह तक आ जाता है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 12 November 2014

Tumse milne ke liye


तुमसे मिलने के लिए
कुछ ऐसे दिल करता है

जैसे पानी की तलाश में
पंछी प्यासा भटकता है

फिर तेरे जाने के बाद
कुछ ऐसे मुझे लगता है

जैसे सिर से जुदा होकर
जिस्म कोई तडपता है

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 11 November 2014

सर्दी


सर्दी  ने  दे दी  है  दस्तक
निकाल  लो  बाहर  रजाइयां
बर्फीले  रंगीले इस मौसम की
सभी  दोस्तों  को   बधाईयाँ

   ---- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 10 November 2014

मौसम बदल रहा है

मौसम बदल रहा है
जरा अपना ख्याल रखना

सुबह सर्दी बहुत होती है
तन को कपडों से ढक के रखना

क्योंकि कभी भी टपक सकती है
कमबख्त नाक यह

इसलिए हरपल जेब में
दोस्त रूमाल रखना

     ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 9 November 2014

पीने का बहाना


तु अगर मिल जाए तो
मजा ही आ जाए जीने का

बुलंदियां छू ले हौसले अपने
ओर फैलाव बढ जाए सीने का

कामयाबी ही हो सामने फिर
गाड दे परचम जाए जिधर

मंजिल ही हो सामने अपने
बहाना न रहे कोई फिर पीने का

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 8 November 2014

Tujhe dekh lu


तुझको देख लूँ तो
दिन अच्छा गुजरता है

वरना हर पल मन
किसी उलझन में रहता है

काश! मिल जाओ तुम
मुझे सदा के लिए

कभी कभी तन्हाई में
मुझसे मेरा दिल कहता है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 7 November 2014

स्थिरता


स्थिर पडे हुए पानी में ही तो
अपना असली चेहरा दिखता है

जरा सा इसमें कंकड पड जाए
तो सब कुछ विकृत लगता है

अगर सच में रव को पाना है
तो मन की स्थिरता जरूरी है

अस्थिरता की स्थिति में यहां
किसी को नहीं कुछ मिलता है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 6 November 2014

Mam


मुंह तो काबू में आ सकता है
कोई मन को काबू करे तो मानें
जिसने हुनर ये सीख लिया है
वो जब  भी चाहे रव को पा ले

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 5 November 2014

Sochte huye


सोचते हुए निकल जाती है रात
कि कल तुमसे बात करूंगा

तुम कबूल कर लोगी मोहब्बत
अगर इस तरह शुरुआत करूंगा

पर रोज दिन गुजर जाता है
और मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ

कभी तुम खुद ही समझ जाओ न
आखिर कब तक बिन आग जलूंगा

----- मिलाप सिंह भरमौरी

मोहब्बत तो नहीं

Hindi shayari
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रौनक तेरे चेहरे की
बन जाती है जिंदगी

उदासी तेरे चेहरे पर
अच्छी लगती नहीं

तेरे ख्याल में क्यों
रहता हूँ मैं रात भर

कहीं हो गई है तुमसे
मुझे मोहब्बत तो नहीं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 4 November 2014

Kala til

तेरे चेहरे पर जो तिल काला है
इसने किया बहुत बडा घौटाला है
कितने ही दिल इसने तोड दिए हैं
कितनो को ही पागल कर डाला है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 3 November 2014

Aadat

कह रहा हूँ मैं जो
हिदायत मान लो

तुम सबसे नजर मिलाने की
आदत सुधार लो

शर्म हुस्न का गहना है
कुछ हया करो

अगर थोडी भी बची नहीं
कुछ उधार लो

Sunday, 2 November 2014

यह मन


यह मन कितना कंजर है
कितना कालिख इसके अंदर है
वो भाई बहन बैठे होंगे बस की सीट पर
और यह कहता है कि इश्क का मंजर है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 1 November 2014

Gulab ka phool


इस गुलाब के फूल को
अगर  तुम कबूल  लो
जन्नत  बने ये  जिंदगी
हवा  मिले  जुनून  को

---- मिलाप सिंह भरमौरी

अब तेरे सिवा


अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं

नींद आती नहीं अब रात भर मुझे
दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं

सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है
तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है
दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

कालाधन

कालाधन अब हो चुका शवेत
बैठ के बस तू तमाशा देख

इतने सालों से हल्ला पडा था
निश्चिंत थे क्या वो कमरे में बैठ

खाली अकाउंट रह गए होंगे
ले गए होंगे भर पैसे के बैग

तीन लाख नहीं है अब मिलने वाले
आवरण तू खोल के सपनों का फैंक

------- मिलाप सिंह भरमौरी

हिंदी शायरी के लिए कृपया इस पेज को लाइक कीजिए

Friday, 31 October 2014

Uphaar


अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके

तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते

कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में

आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 30 October 2014

Jiya jaye


संभल संभल कर भी
कितना जहाँ में जिया जाए

चलो उस पे भी
कुछ भरोसा अब किया जाए

बहुत रह लिए बनकर
बनावटी से हम

अब असलियत का भी
कुछ मजा लिया जाए

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 29 October 2014

Kissing day 2nd nov.

उसको मोहब्बत नहीं
हवस कहते हैं
पब्लिक प्लेस पर जो
कस के kiss करते हैं

मोहब्बत तो वरना
नजरों से भी व्यान हो जाती है
क्यों फिर कुछ लोग
kissing day मनाने की जिद्द करते हैं

विफल हो जाएगी उनकी
दो नवंबर की योजना
आखिर हर युवा में
इंडियन दिल धडकते हैं

रह जाएगें सिर्फ दो चार
भाडे के kiss करने वाले
यह अनैतिकता फैलाने वाले
खुद को क्या समहते हैं

यह बहुत बडा तमाचा होगा
इन पाखंडियो के लिए
अगर इस दिन हम सब
भारतीय संस्कारों के संग
घर से बाहर निकलते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 28 October 2014

दिल के दरवाजे पर


दिल के दरवाजे पर अब
किसी के आने की आहट न रही

इश्क के लुत्फ के आगे
अब ओर कोई राहत न रही

इतना चाहा है आपने
इस अदना से आदमी को कि

ओर कोई चाहे दुनिया में हमें
ऐसी कोई चाहत न रही

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 26 October 2014

Nasha hai nash


नशा है नाश की आधारशिला
फिर न करना वंदे तू गिला

वो दोस्त नहीं दुश्मन है तेरा
आज मुफ्त में तुझे जो रहा पिला

क्यों करता है बहाने गम छुपाने के
अब तक तो हुआ न इससे भला

अपनी तो सेहत बिगाड ही रहा है
सुख शांति भी घर की तू रहा जला

जड मत बन जा बोतल के आगे
सोच तू कुछ अपना दिमाग हिला

अपने घरवालों के बारे में सोच
क्यों दे रहा उन्हें पी पी कर तू सजा

कुछ अच्छे काम को भेजा था उसने
तू दे रहा है क्या मगर सिला

   ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 25 October 2014

नशे की आदत

बहुत बुरी है नशे की आदत
घर में रहती है सदा ही बगावत

तन मन धन सब खो जाता है
कभी न डालना गले यह आफत

सिकुड जाता है सोच का दायरा
सब रौंद डालती है यह शराफत

सफेद कालर नहीं रौब जमाती
कीचड में रौलती है यह इज्जत

अभी भी वक्त है तू सुधर जा वंदे
देख हलात की कुछ तो नजाकत

  ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 24 October 2014

Agar tu mil jaye

अगर तू मिल जाए तो
कुछ कमी न रहेगी जिंदगी में

जल उठेंगे चिराग कोने कोने में
भर जाएगा घर खुशी से

हर तरफ से लगेगा जहां मुक्कमल
कुछ न चाहेगा फिर दिल

नूर ही नूर होगा जन्नत सी लगेगी
यह जमीं हर कहीं से

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 23 October 2014

बुरा देखा

तेरे बारे  में कब  मैंने बुरा सोचा
तू  बेबफा थी मगर  खुदा  सोचा
हर सितम को तेरे मैं सहता गया
मेरा मुक्कदर है  यह कहता गया
पर  तुमने मुझमें  क्या  बुरा देखा

---------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 22 October 2014

Meri aankhon

मेरी आँखों में तेरा चेहरा है
और जुवान पर हैं तेरी बातें

मेरे दिल में तेरी धडकन है
और मेरे मन में हैं तेरी यादें

अब तुमसे बिछुड कर कैसे रहूं
खुद को मुकम्मल कैसे कहूं

तू रूह में आकर बस गई है
अब तेरे नाम से चलती हैं सांसे

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 21 October 2014

Happy Deepavali

स्वदेशी  दीपक  स्वदेशी  लडियां

स्वदेशी  पटाखे स्वदेशी  फुलझडियां

स्वदेशी सामग्री  और पूजा  की थाली

क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली  ???

------ मिलाप सिंह भरमौरी

स्वदेशी दिवाली मुबारक

स्वदेशी  दीपक  स्वदेशी  लडियां
स्वदेशी  पटाखे स्वदेशी  फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री  और पूजा  की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली

------ मिलाप सिंह भरमौरी

दीपावली की शुभकामना

मिट्टी के दीये में
सरसों का तेल
अक्षित से लक्ष्मी के पैर उकेर
मंगलमय हो सबको दिवाली
स्वीकार करो सब बधाईयों का ढेर !

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 20 October 2014

Happy Deepawali

देखो न पैसे के पीर
कैसे कैसे पैसा ऐंठ रहे हैं

मिठाई की जगह दुकानों में
विषैला पदार्थ बेच रहे हैं

सबको पता है जो पकडे गए हैं
छूट जाएगें दो दिन बाद

मूक बधिर हुए सभी
खडे खडे तमाशा देख रहे हैं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 19 October 2014

अपनी मोहब्बत


अपनी मोहब्बत कुछ भी नहीं
उनकी बेबफाई कुछ भी नहीं

किस्मत की लकीरें मत बदलो
किस्मत से ज्यादा कुछ भी नहीं

मेरे आंसुओं का सबब न पूछो
कुछ तारे टूटे हैं कुछ भी नहीं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Happy Deepawali


दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Happy Deepawali


दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां

सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 18 October 2014

तेरी खुशबू छुपी है


तेरी  खुशबू  छुपी  है  हवाओं  में
आओ  झूमें  मस्त  फिजाओं  में
आज  लगता  है  इतना  रंगीन  जो  समां
तेरे  होठों  को छू  कर  आई  है  हवा
मैं  भी  रंग  जाऊं  आओ  बाहों  में

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 17 October 2014

बचपन


छोटी छोटी बातों पर जब
जोर से खुलकर रो लेते थे

बचपन के वो दिन
बहुत ही सुंदर होते थे

अपने पराये का पता नहीं था
सब कुछ न्यारा लगता था

चांद सितारों पर चलने के
जब सुंदर सपने बोते थे

------ मिलाप सिंह भरमौरी

सपने


बचपन में सपने भी
कितने सुन्दर आते थे
आसमान में बिन पंखों के
खुद को उडते पाते थे

थोडे से जब बडे हुए
स्कूल कालेज को जाने लगे
फिर सपनों में भी सुंदर सुंदर
हसीन चेहरे आने लगे

जब बुढापे में पहुंच गए
तो सपने भी डराने लगे
मरे हुए लोगों से फिर
शमशान घाट पर बतियाने लगे

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 16 October 2014

कर रहा तरक्की

त्वांग से लेकर विजयनगर तक
इक लम्बी चौडी सडक का निर्माण

सरहद को सुरक्षित करने का है
यह बहुत ही अच्छी कूटनीति का प्रमाण

क्यों न हो फिर यह आग बबूले
दो पडौसी हमारे जैसे फटे झौले से

सचमुच बिखेर रहा है अब उर्जा के पुंज
और कर रहा है तरक्की अपना हिन्दुस्तान

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 15 October 2014

बेरोजगारी में


बेरोजगारी में राह चलते हुए
जब पडौसी मुस्कुराकर पूछता है

अभी काम नहीं बना कहीं पर बेटा
तो शर्म का दरिया सा मन में कूदता है

कामयाबी की तो कोई भी चर्चा
नहीं करता है इस जहाँ में लेकिन

नाकामयाबी में तो दोस्त हर कोई
यहाँ पर तरह तरह से मजे लूटता है

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 14 October 2014

जवर तेरा


समुन्दर के किनारे रेत पे लिखा
कब तक आखिर टिक पाएगा

आती हुई लहर से यकीनन
या पैरों से किसी के मिट जाएगा

क्योंकि मद से है अभी आंख भरी
जायज ही लगेगा अपना सब

जोश -जोश में होश कहाँ है
इसलिए खुद को ही मान रहा है रव

पर बेवक्त देखना इक दिन सब
तुझे जवर तेरा दिख जाएगा

----- मिलाप सिंह भरमौरी