सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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सुबह सुबह की ठंडक में
बिस्तर में रजाई के अंदर से
भेज रहा हूँ यह सुंदर पैगाम
आज शुरू हुआ है जो साल नया
बहुत सी खुशियाँ लाए आपके नाम
----- मिलाप सिंह भरमौरी
आज पुराना वर्ष बीत गया है
नए साल का हुआ आगाज
एक जनवरी चोंच में लेकर
वक्त का पंछी भर रहा परवाज
समय के इस शुभ कृत्य पर
सभी दोस्तों को मुबारकबाद
आओ लें संकल्प अभी
जाता साल है - है अच्छी घडी
आ गए थे जो अवगुन जीवन में
वो त्याग देंगे सब के सभी
कुछ गलत न करेंगे नए साल में
हाथ लगाएंगे नशे को नहीं
हम झूठ बोलेंगे न नए साल में
चुनेंगे रास्ता जीवन का सही
अब मेहनत से पैसा कमाएंगे
और हेर फेर को जगह देगें नहीं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
नव अन्वेषण में लगे यह मन
और अंर्तमन तक हर्ष रहें
उत्कर्ष पर हो भ्रातृ भावना
और तन से सब स्वास्थ रहें
सब दोस्तों को बहुत बधाई
सब के लिए शुभ नव वर्ष रहे
बहुत खूबसूरत हो तुम
बताने की जरूरत नहीं है
हुस्न को ढक के ही रखो
दिखाने की जरूरत नहीं है
मार ही डालोगी क्या अब
इन जानलेवा अदाओं से
देख सताए हुओं को ओर
सताने की जरूरत नहीं है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मिट्टी के इस जिस्म पे , क्यों करता खर्चा लाख में
मिल जाना तो तय ही है , आखिर इसका खाक में
सर्दी का है मौसम , क्यों देता दुख तू खुद को वंदे
जी भर के नहा लेना बेशक , आने वाली बरसात में
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
बडी खूबसूरत है तू कसम से
समेटूं तुझे मैं कैसे लफ्ज में
माथे की बिंदिया आंखों का काजल
बडे खूबसूरत है तेरे यह झुमके
---- milap Singh bharmouri
आज जब आया मैं उसे छोडकर
वो रोई मगर इक बहाना ढूंढ कर
फिर भी आई कुछ दूर चलके वो
छोड आया मगर अगले मोड पर
जमाने की होती हैं मजबूरियाँ भी
नहीं जिया जाता है मुंह मोड कर
शायद मुझे वो संग समझती होगी
मगर दिखाऊ कैसे दिल खोलकर
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी के दिन है सर्दी की रातें
हो रही हैं कोहरीली बरसातें
जम चुकी है स्याही कलम की
लिखें कैसे अब दिल की बातें
बेघर फुटपाथ पे ठिठुर रहे हैं
खो रहे हैं वो अब अपनी जानें
पूंजीपति को फर्क क्या इससे
हो रही उसकी रंगीन नित रातें
सबके पास हो बुनियादी चीजें
कोई समाज में समानता ला दे
----- मिलाप सिंह भरमौरी
खुली किताब है जिंदगी अपनी
मैं कुछ भी छुपाउंगा नहीं
इस बर्फ जैसे पानी को
लेकिन हाथ लगाऊंगा नहीं
अगर आए किसी को बदबू
तो बेशक न बैठे मेरे पास
लेकिन इतनी सर्दी में मैं
अभी कुछ ओर दिन नहाऊंगा नहीं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
यह इंतजार के पल भी
बडे कठिन होते हैं
बस खोए से रहते हैं
न जागते हैं न सोते हैं
इस कद्र भी खूदा तू
उनहें मजबूरियां न देना
कि चाहने वाले अक्सर
बिछुड कर तन्हा रोते हैं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
या रव तेरे जहान में यह क्या हो रहा है
तेरे ही नाम पर शैतान जहर वो रहा है
गया था जो मासूम कल स्कूल के लिए
देखो न आज कब्र में गहरी नींद सो रहा है
मना रहे हैं जश्न वो अपनी उस हरकत का
दुनिया का जर्रा जर्रा जिस पर रो रहा है
रंगी पडी है खून से वो क्लास की दीवार
कहा था जिसमें अमन का सबक हो रहा है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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सर्दी अब दिखा रही कमाल
धुंध के कारण बुरा है हाल
सारा सारा दिन अब सूरज नहीं दिखता
भेज दिया है जैसे इसको पाताल
---- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी ने अब पकड बनाई
अगल बगल से जकड रजाई
धुंध में सूरज नहीं है दिखने वाला
घडी की घंटी से उठ जा भाई
----- मिलाप सिंह भरमौरी
हर पल तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से भी कुछ मिला करो
क्यों मुरझाए मुरझाए रहते हो
कभी फूल बन कर भी खिला करो
गर तारीफ किसी की मुमकिन नहीं
तो अगल बगल में तुम गिला करो
पर ये तेरा तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से कुछ मिला करो
------ मिलाप सिंह भरमौरी
अब तन्हा से दिन हैं
तन्हा सी रातें
कहने को मगर हैं
बहुत सी बातें
कुछ अपनी कमी थी
कुछ तेरी भी होगी
जो पहुंच न पाई
अंजाम तक मुलाकातें
---- मिलाप सिंह भरमौरी
क्या शहर की तरह
हो जाएगें गांव भी
रूखे रूखे से दिखेंगे
यहां भी सब आदमी
मृगतृष्णा में फंस जाऐंगे
सब दौलत के लिए
क्या उनको भी नहीं रहेगी
फुर्सत दो सांस की
तेरी जुल्फों को देखें
के तेरे रुखसारों को
मात देती हो तुम
हर तरफ से बहारों को
खुशनसीब हैं हम
के हम तुम्हारे हैं
बदनसीब हैं वो
जो महरूम हैं नजारों से
---- मिलाप सिंह भरमौरी
ओरों को अच्छाई की
क्या नसीहत दें
पहले खुद ही
इस पर अमल कर लें
जरूर बदल जाएगी
यह दुनिया फिर
पहले खुद को ही
अगर हम बदल लें
--- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
@@@@@@@@
मधुर मधुर सी याद तुम्हारी
इस तन्हा दिल को बहला जाती है
वो तेरी बातें वो तेरे नखरों से
यह जिंदगी तर तर हो जाती है
पलकों के झरोखों से उड कर के
मैं आ जाता हूँ पास तुम्हारे
फिर सूनी नहीं लगती ये चारदीवारी
जब याद तुम्हारी आ जाती है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हर लडकी में अपनी बहन को देखो
हर औरत में अपनी माता
मन अपना जब पवित्र होगा
फिर हर अर्ज सुनेगा विधाता
---- मिलाप सिंह भरमौरी
मत कर लडकियों से छेडख़ानी
बडी मंहगी पडेगी तूझे ये नादानी।
जब बनेगा तू भी बाप एक लडकी का
तब पता चलेगा क्या होती है माँ बाप की परेशानी ।
----- मिलाप सिंह भरमौरी
आपकी याद हर घडी
आती है
आपकी सूरत
बहुत मुझको भाती है
हिम्मत कहाँ इसमें
कि सताए हमको किस्मत
बस ये जो बेरूखी है तेरी
थोडी सी मुझे सताती है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
देश के जो काम न आए
लानत है ऐसी जवानी को
कभी न भूल पाएगा देश
तेरी इस कुर्बानी को
अपनी जान की बाजी लगाकर
घाटी में अमन की रक्षा की है
तेरी बहादुरी कर देगी खत्म
देश से आतंक की कहानी को
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मंहगी घडी पहन लेने से
कोई समय का पाबंद नहीं हो जाता
सूरज को दिया दिखाने से
वो रौशन कम नहीं हो जाता
फक्र होता है हर इंसान को
यहाँ हिन्दोस्तानी कहलाने में
अब किसी ऐरे गैरे के कहने से
कश्मीर बंद नहीं हो जाता
---- मिलाप सिंह भरमौरी
घडी तो कोई भी
पहन लेता है हाथों में
समय का पाबंद मगर
कोई ही होता है लाखों में
दिल भी होना चाहिए
अंदर से मिसरी की तरह
सिर्फ मिठास ही नहीं
होनी चाहिए बाहरी बातों में
जमीं पर ही खुश रहूंगा
अगर आकाश न मिले
वो दौलत किसलिए
अगर सुख की सांस न मिले
बस इतनी सी इल्तिजा है
मेरी तुमसे ऐ! खुदा
कि मेरी वजह से दुनिया में
कोई उदास न मिले
------ मिलाप सिंह भरमौरी
न कर घमंड जवानी का
जिंदगी बुलबुला है पानी का
पता नहीं कब ये फूट जाए
कब आ जाए आलम विरानी का
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हरपल मेरी आँखों में
आप ही तो रहते हैं
तेरे लिए ही बार बार
आईने के आगे संबरते हैं
तुम्हारे ही रहम से तो
होते हैं हम आबाद
और तेरी बेरूखी से
अब हम सनम उजडते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
हमने जो जिंदगी जी है
वो भी क्या जिंदगी जी है
कभी छोड दी तोवा कर के
कभी जम कर हमने पी है
फिर भी कोई गम नहीं हमको
इस वादा खिलाफी का
क्योंकि जो भी हरकत की है
तेरी याद में सब की है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
कब बनता है गुलशन माली का
ले जाता है फूल कोई ओर डाली का
इसलिए जो भी है सब अच्छा है
तू भूल जा खाव अब हरियाली का
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
दरवाजे पर है ताला
ताले में है चावी
प्यार भरे शब्दों से
बोल तुझे क्या खराबी
दरवाजे के दो पाट
पाट के बीच है कुंडा
भाग यहां से कुत्ते
वरना पड जाएगा दंडा
---- मिलाप सिंह भरमौरी
हाल अपने दिल का
मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ
जो सोचता रहता हूँ हरपल
होंठो तक ला नहीं पाता हूँ
बेशक बहुत मोहब्बत है
तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में
पर पता नहीं क्यों तुमको
फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ
----- मिलाप सिंह भरमौरी
कब तलक आखिर
यूंही लडखडाया जाए
क्यों न इक कदम
तेरी ओर बढाया जाए
बहुत सुनते आए हैं
इक नाम मुकद्दर का
क्यों न आज इसे भी
आजमाया जाए
-- मिलाप सिंह भरमौरी
सब उसकी बिछाई बिसात है
कोई समझता है सब उसके हाथ है
हर हरकत पे है पूरी उसकी कमान
उसकी मर्जी से बनती हर बात है
मालिक है वो इस सारे जहाँ का
हर इंसान जर्रा उसका दास है
पल का नहीं है पर कोई भरोसा
बेशक चल रही अभी पूरी सांस है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
कुछ अदब से रहो
और रखो अकल ठिकाने पे
यह खूबसूरती नहीं बढ जाती
जिस्म को दिखाने से
अगर बुरी लगे बात मेरी
और गले से उतरे नहीं
तो कह देना अपने साथी से
ये शक्स हैं जमाने पुराने के
---- मिलाप सिंह भरमौरी
कुछ मीठी
कुछ नमकीन लगती है
तू साथ हो तो
जिंदगी हसीन लगती है
तुझको देखूँ तो
उडान भरती हैं उम्मीदें
और तू औझल हो तो
पंखविहीन लगती है
--- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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हर पल मन में इक फिक्र रहता है
और जुवां पर उसका जिक्र रहता है
जब हो जाता है प्यार किसी को
कुछ इस तरह का उसका हश्र रहता है
---------- मिलाप सिंह
बहुत ही साधारण है
इस जिंदगी का दर्शन
आग की आंच पर
जैसे दूध का बर्तन
संभाल के उवालो तो
ओर स्वाद बढाए
थोडी सी अलगर्जी हुई
सब जमीन को अर्पण
---मिलाप सिंह
इक चमत्कार की चाह ने
कितनों की दुकानें चलाईं
खूब चढाया चंदा
चाहे कितनी भी हो मंहगाई
फिर खूब नतीजे देखे
और खूब सुर्खियां आई
मान के खुद को मालिक
जब उन्होंने रास रचाई
---- मिलाप सिंह भरमौरी
गुरु ग्रंथ है गुरु है गीता
गुरु है वेद पुराण
इनके अलावा जो भी है
वो है साधू वक्ता या विद्वान
भूल कर रहा बहुत बडी तू
अगर मान रहा इनको भगवान
भगवान का दर्जा प्राप्त कर ले
इतना काबिल नहीं है कोई इंसान
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
खुदगरजों से मोहब्बत कैसी
खुदगर्ज तो अपनी ही सोचेंगे
अगर इससे हो मुनाफा इनका
तो तुझे मरने से भी क्यों रोकेंगे
सुन तेरी मोहब्बत का उन्हें
जरा भी एहसास नहीं होगा
वो तो सिर्फ मूर्ख कहेंगे तुमको
और खिलखिला कर ताली ठोकेंगे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मौहब्बत जब हो जाती है तो
उसके सारे अवगुण छुप जाते हैं
चाहे हो वो कोई घोर दरिंदा
उसमें भी फिर रव को पाते हैं
मर मिटने को हो जाते हैं आमअदा
बस उसके एक इशारे पर
छिटक के खुद पर इश्क का तेल
प्यार की चिंगारी से जल जाते हैं
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
आपने यह क्या कह दिया
खुशियों का कारवां मिल गया
दिल सकून से भरने लगा
दर्द आंखों से बह गया
दुनिया का क्या है मिलाप
जो भी कहती गई सह लिया
---- मिलाप सिंह भरमौरी
आदत सी हो जाती है
फिर उसके बारे में सोचने की
हिम्मत किसमें रहती है
मोहब्बत के तुफां को रोकने की
अपने अच्छे बुरे के बारे में
कुछ पता ही नहीं चलता
अच्छी बातें करने वाले को भी
फिर उपाधि दे देते हैं भौंकने की
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरा साथ मुझे
सच में बहुत भाता है
जीने का मानो
जैसे मजा ही आ जाता है
पर तुमसे बिछुडने का
ख्याल मुझे डराता है
जैसे पेट से निकलकर कलेजा
मुंह तक आ जाता है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तुमसे मिलने के लिए
कुछ ऐसे दिल करता है
जैसे पानी की तलाश में
पंछी प्यासा भटकता है
फिर तेरे जाने के बाद
कुछ ऐसे मुझे लगता है
जैसे सिर से जुदा होकर
जिस्म कोई तडपता है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी ने दे दी है दस्तक
निकाल लो बाहर रजाइयां
बर्फीले रंगीले इस मौसम की
सभी दोस्तों को बधाईयाँ
---- मिलाप सिंह भरमौरी
मौसम बदल रहा है
जरा अपना ख्याल रखना
सुबह सर्दी बहुत होती है
तन को कपडों से ढक के रखना
क्योंकि कभी भी टपक सकती है
कमबख्त नाक यह
इसलिए हरपल जेब में
दोस्त रूमाल रखना
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तु अगर मिल जाए तो
मजा ही आ जाए जीने का
बुलंदियां छू ले हौसले अपने
ओर फैलाव बढ जाए सीने का
कामयाबी ही हो सामने फिर
गाड दे परचम जाए जिधर
मंजिल ही हो सामने अपने
बहाना न रहे कोई फिर पीने का
----- मिलाप सिंह भरमौरी
तुझको देख लूँ तो
दिन अच्छा गुजरता है
वरना हर पल मन
किसी उलझन में रहता है
काश! मिल जाओ तुम
मुझे सदा के लिए
कभी कभी तन्हाई में
मुझसे मेरा दिल कहता है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
स्थिर पडे हुए पानी में ही तो
अपना असली चेहरा दिखता है
जरा सा इसमें कंकड पड जाए
तो सब कुछ विकृत लगता है
अगर सच में रव को पाना है
तो मन की स्थिरता जरूरी है
अस्थिरता की स्थिति में यहां
किसी को नहीं कुछ मिलता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मुंह तो काबू में आ सकता है
कोई मन को काबू करे तो मानें
जिसने हुनर ये सीख लिया है
वो जब भी चाहे रव को पा ले
----- मिलाप सिंह भरमौरी
सोचते हुए निकल जाती है रात
कि कल तुमसे बात करूंगा
तुम कबूल कर लोगी मोहब्बत
अगर इस तरह शुरुआत करूंगा
पर रोज दिन गुजर जाता है
और मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ
कभी तुम खुद ही समझ जाओ न
आखिर कब तक बिन आग जलूंगा
----- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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रौनक तेरे चेहरे की
बन जाती है जिंदगी
उदासी तेरे चेहरे पर
अच्छी लगती नहीं
तेरे ख्याल में क्यों
रहता हूँ मैं रात भर
कहीं हो गई है तुमसे
मुझे मोहब्बत तो नहीं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरे चेहरे पर जो तिल काला है
इसने किया बहुत बडा घौटाला है
कितने ही दिल इसने तोड दिए हैं
कितनो को ही पागल कर डाला है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
कह रहा हूँ मैं जो
हिदायत मान लो
तुम सबसे नजर मिलाने की
आदत सुधार लो
शर्म हुस्न का गहना है
कुछ हया करो
अगर थोडी भी बची नहीं
कुछ उधार लो
यह मन कितना कंजर है
कितना कालिख इसके अंदर है
वो भाई बहन बैठे होंगे बस की सीट पर
और यह कहता है कि इश्क का मंजर है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
इस गुलाब के फूल को
अगर तुम कबूल लो
जन्नत बने ये जिंदगी
हवा मिले जुनून को
---- मिलाप सिंह भरमौरी
अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं
नींद आती नहीं अब रात भर मुझे
दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं
सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है
तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है
दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
कालाधन अब हो चुका शवेत
बैठ के बस तू तमाशा देख
इतने सालों से हल्ला पडा था
निश्चिंत थे क्या वो कमरे में बैठ
खाली अकाउंट रह गए होंगे
ले गए होंगे भर पैसे के बैग
तीन लाख नहीं है अब मिलने वाले
आवरण तू खोल के सपनों का फैंक
------- मिलाप सिंह भरमौरी
हिंदी शायरी के लिए कृपया इस पेज को लाइक कीजिए
अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके
तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते
कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में
आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से
------ मिलाप सिंह भरमौरी
संभल संभल कर भी
कितना जहाँ में जिया जाए
चलो उस पे भी
कुछ भरोसा अब किया जाए
बहुत रह लिए बनकर
बनावटी से हम
अब असलियत का भी
कुछ मजा लिया जाए
------- मिलाप सिंह भरमौरी
उसको मोहब्बत नहीं
हवस कहते हैं
पब्लिक प्लेस पर जो
कस के kiss करते हैं
मोहब्बत तो वरना
नजरों से भी व्यान हो जाती है
क्यों फिर कुछ लोग
kissing day मनाने की जिद्द करते हैं
विफल हो जाएगी उनकी
दो नवंबर की योजना
आखिर हर युवा में
इंडियन दिल धडकते हैं
रह जाएगें सिर्फ दो चार
भाडे के kiss करने वाले
यह अनैतिकता फैलाने वाले
खुद को क्या समहते हैं
यह बहुत बडा तमाचा होगा
इन पाखंडियो के लिए
अगर इस दिन हम सब
भारतीय संस्कारों के संग
घर से बाहर निकलते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
दिल के दरवाजे पर अब
किसी के आने की आहट न रही
इश्क के लुत्फ के आगे
अब ओर कोई राहत न रही
इतना चाहा है आपने
इस अदना से आदमी को कि
ओर कोई चाहे दुनिया में हमें
ऐसी कोई चाहत न रही
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
नशा है नाश की आधारशिला
फिर न करना वंदे तू गिला
वो दोस्त नहीं दुश्मन है तेरा
आज मुफ्त में तुझे जो रहा पिला
क्यों करता है बहाने गम छुपाने के
अब तक तो हुआ न इससे भला
अपनी तो सेहत बिगाड ही रहा है
सुख शांति भी घर की तू रहा जला
जड मत बन जा बोतल के आगे
सोच तू कुछ अपना दिमाग हिला
अपने घरवालों के बारे में सोच
क्यों दे रहा उन्हें पी पी कर तू सजा
कुछ अच्छे काम को भेजा था उसने
तू दे रहा है क्या मगर सिला
------- मिलाप सिंह भरमौरी
बहुत बुरी है नशे की आदत
घर में रहती है सदा ही बगावत
तन मन धन सब खो जाता है
कभी न डालना गले यह आफत
सिकुड जाता है सोच का दायरा
सब रौंद डालती है यह शराफत
सफेद कालर नहीं रौब जमाती
कीचड में रौलती है यह इज्जत
अभी भी वक्त है तू सुधर जा वंदे
देख हलात की कुछ तो नजाकत
------- मिलाप सिंह भरमौरी
अगर तू मिल जाए तो
कुछ कमी न रहेगी जिंदगी में
जल उठेंगे चिराग कोने कोने में
भर जाएगा घर खुशी से
हर तरफ से लगेगा जहां मुक्कमल
कुछ न चाहेगा फिर दिल
नूर ही नूर होगा जन्नत सी लगेगी
यह जमीं हर कहीं से
------- मिलाप सिंह भरमौरी
तेरे बारे में कब मैंने बुरा सोचा
तू बेबफा थी मगर खुदा सोचा
हर सितम को तेरे मैं सहता गया
मेरा मुक्कदर है यह कहता गया
पर तुमने मुझमें क्या बुरा देखा
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
मेरी आँखों में तेरा चेहरा है
और जुवान पर हैं तेरी बातें
मेरे दिल में तेरी धडकन है
और मेरे मन में हैं तेरी यादें
अब तुमसे बिछुड कर कैसे रहूं
खुद को मुकम्मल कैसे कहूं
तू रूह में आकर बस गई है
अब तेरे नाम से चलती हैं सांसे
----- मिलाप सिंह भरमौरी
स्वदेशी दीपक स्वदेशी लडियां
स्वदेशी पटाखे स्वदेशी फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री और पूजा की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली ???
------ मिलाप सिंह भरमौरी
स्वदेशी दीपक स्वदेशी लडियां
स्वदेशी पटाखे स्वदेशी फुलझडियां
स्वदेशी सामग्री और पूजा की थाली
क्या आप मना रहे हैं स्वदेशी दिवाली
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मिट्टी के दीये में
सरसों का तेल
अक्षित से लक्ष्मी के पैर उकेर
मंगलमय हो सबको दिवाली
स्वीकार करो सब बधाईयों का ढेर !
------ मिलाप सिंह भरमौरी
देखो न पैसे के पीर
कैसे कैसे पैसा ऐंठ रहे हैं
मिठाई की जगह दुकानों में
विषैला पदार्थ बेच रहे हैं
सबको पता है जो पकडे गए हैं
छूट जाएगें दो दिन बाद
मूक बधिर हुए सभी
खडे खडे तमाशा देख रहे हैं
----- मिलाप सिंह भरमौरी
अपनी मोहब्बत कुछ भी नहीं
उनकी बेबफाई कुछ भी नहीं
किस्मत की लकीरें मत बदलो
किस्मत से ज्यादा कुछ भी नहीं
मेरे आंसुओं का सबब न पूछो
कुछ तारे टूटे हैं कुछ भी नहीं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ
---- मिलाप सिंह भरमौरी
दीपक जले मुंडेर पर
बंटने लगी मिठाइयां
सभी दोस्तों को हमारी ओर से
दिवाली की बधाईयाँ
------ मिलाप सिंह भरमौरी
तेरी खुशबू छुपी है हवाओं में
आओ झूमें मस्त फिजाओं में
आज लगता है इतना रंगीन जो समां
तेरे होठों को छू कर आई है हवा
मैं भी रंग जाऊं आओ बाहों में
------- मिलाप सिंह भरमौरी
छोटी छोटी बातों पर जब
जोर से खुलकर रो लेते थे
बचपन के वो दिन
बहुत ही सुंदर होते थे
अपने पराये का पता नहीं था
सब कुछ न्यारा लगता था
चांद सितारों पर चलने के
जब सुंदर सपने बोते थे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
बचपन में सपने भी
कितने सुन्दर आते थे
आसमान में बिन पंखों के
खुद को उडते पाते थे
थोडे से जब बडे हुए
स्कूल कालेज को जाने लगे
फिर सपनों में भी सुंदर सुंदर
हसीन चेहरे आने लगे
जब बुढापे में पहुंच गए
तो सपने भी डराने लगे
मरे हुए लोगों से फिर
शमशान घाट पर बतियाने लगे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
त्वांग से लेकर विजयनगर तक
इक लम्बी चौडी सडक का निर्माण
सरहद को सुरक्षित करने का है
यह बहुत ही अच्छी कूटनीति का प्रमाण
क्यों न हो फिर यह आग बबूले
दो पडौसी हमारे जैसे फटे झौले से
सचमुच बिखेर रहा है अब उर्जा के पुंज
और कर रहा है तरक्की अपना हिन्दुस्तान
------- मिलाप सिंह भरमौरी
बेरोजगारी में राह चलते हुए
जब पडौसी मुस्कुराकर पूछता है
अभी काम नहीं बना कहीं पर बेटा
तो शर्म का दरिया सा मन में कूदता है
कामयाबी की तो कोई भी चर्चा
नहीं करता है इस जहाँ में लेकिन
नाकामयाबी में तो दोस्त हर कोई
यहाँ पर तरह तरह से मजे लूटता है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
समुन्दर के किनारे रेत पे लिखा
कब तक आखिर टिक पाएगा
आती हुई लहर से यकीनन
या पैरों से किसी के मिट जाएगा
क्योंकि मद से है अभी आंख भरी
जायज ही लगेगा अपना सब
जोश -जोश में होश कहाँ है
इसलिए खुद को ही मान रहा है रव
पर बेवक्त देखना इक दिन सब
तुझे जवर तेरा दिख जाएगा
----- मिलाप सिंह भरमौरी